बनवारी लाल Chapter-1
Bhagwan krishna best hindi story, बनवारी लाल भाग-1
“Waiter...|”
Coffee shop में T-shirt और जींस पहने बैठे मोहन
ने कहा |
“जी sir...|”
Waiter ने मुस्कुराते हुए पूछा |
“मेरे लिए के Cold coffee और तुम्हारे लिए....?”
अपने समाने दूध सी गोरी नंदनी को देखते हुए मोहन ने पूछा |
“जहर ला दो...|” नंदनी ने गुस्से
में झिल्लाते हुए पूछा |
Waiter
और मोहन उसे देखकर मुस्कुरा दिए |
“तुम क्यों हंस रहे हो...?” नंदनी ने गुस्से में waiter
को घूरा |
“इसके लिए भी same...|” मोहन ने order
पूरा कर दिया |
“मोहन try to understand, मैं घरवालो को अब नही रोक सकती...|” नंदनी ने परेशानी
जाहिर करते हुए पूछा |
“तो रोकती क्यों हो, मेरे मामा बनवारी
सब देख लेगे...|”
मोहन ने जोर से बोला |
“क्या तुम हर time ये मामा –
2 की रट लगाये रहते हो...?” नंदनी उदासी के साथ “कल शाम मुझे लड़के वाले देखने आ रहे है, बोलो अपने मामा बनवारी को, उन्हें रोक दे |”
“मोहन तुम अपने मामा से कहते क्यों नही हो, तुम्हें भी कोई ढंग का काम करा दे, खुद तो वहाँ विदेश में बैठे हुए ऐश ले रहे है और तुम यहाँ painting बना रहे हो ?” नंदनी सच में परेशान
होकर बोल रही थी |
“क्या ये काफी नही है माँ के जाने के बाद उन्होंने मुझे इस काबिल
बना दिया,
मैं खुद कमाकर खा सकता हूँ |” मोहन की आवाज में स्वाभिमान छलक रहा था |
“क्या कमाते हो, कभी 2 हजार से ऊपर की कोई painting बिकी है तुम्हारी...?”
नंदनी भड़कती हुई “मैं शहर के सबसे
बड़े ज्वेलरो में से एक सेठ मोती चंद की बेटी हूँ, कुछ तो सोचो और क्या हर time एक ही तरह की painting बनाते रहते हो, कुछ नया नही है
तुम्हारे पास ?”
“तुम मेरी कला और कमाई को अपने पैसे से तौल रही हो....?” मोहन थोड़ा गम्भीर होकर “मेरे मामा के पास
तुम्हरे पापा जैसे कितने ही काम करते है, बहुत पैसा है उनके
पास |”
“तुम्हारे पास क्या है...?” नंदनी भड़कती हुई “तुम अपने घर का खर्च भी नही चला पाते हो |”
“मैं खुश हूँ...|” मोहन ने कहा |
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|
“मैं नही हूँ, मैं नही चाहती जब तुम पापा के सामने खड़े हो तो वो तुम्हारे बराबरी घर के ड्राइवर से करे...|” नंदनी गीली आँखों के साथ “मैं नही देख पाऊँगी |”
“तुम चिंता मत करो, मैं मामा से बात
करूंगा...|”
मोहन नंदनी के आंसू पौछते हुए बोला |
“मोहन मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, मैं नही चाहती मुझे कोई गलत कदम उठाना पड़े...|” नंदनी बोल ही रही थी |
तभी मोहन के mobile पर एक message
की tone
बजी | Waiter ने जैसे ही table पर coffee
रखी,
coffee थोड़ा छलकर मोहन की पेंट पर गिर गयी |
“Sorry
sir...|” Waiter बोला |
“It’s
ok...|” नंदनी भडकने लगी पर मोहन ने उसे रोक दिया |
मोहन अपना phone table पर रख washroom
चला गया | नंदनी परेशानी में coffee पीती मोहन के mobile पर message
की notification
को देखने लगी | एक अटपटे से मन
में आये ख्याल के साथ जैसे ही नंदनी ने उसका mobile उठाया,
उसका शक सही था, screen पर मामा नाम से message
आया हुआ था |
तेश में आ नंदनी ने call मिलनी चाही,
पर एक ख्याल के साथ रुक गयी | फिर उसने message
को खोल उस पर अपने पूरे मन की भड़ास message type करके निकाल दी |
मोहन वापिस आया तो नंदनी जा चुकी थी |
“Waiter
madam कहाँ गयी...?” मोहन ने पूछा |
“वो तो चली गयी...|” Waiter ने कहा |
मोहन अपने घर पर पड़ा सो रहा था, तभी दरवाजा खटखटया | मोहन ने ध्यान
नही दिया |
फिर से तीन बार दरवाजा खटखटाया गया पर मोहन ने सुना नही, मानो घोड़े बेचकर सो रहा हो |
“मोहन...|” दरवाजे के बाहर से नंदनी
की आवाज आयी |
मोहन मुस्कारते हुए मानो सपने में नंदनी की आवाज सुन रहा था
|
“मोहन...|” इस बार आवाज में थोड़ा
गुस्सा था |
एक विचार के साथ मोहन झटके से खड़ा हो गया | एक पल में गायब नींद के साथ मोहन ने घड़ी को देखा तो शाम के 6 बजे थे |
“ये घर से तो भागकर नही आ गयी..?” गिरते – पड़ते मोहन ने दरवाजा खोला
तो हैरान रह गया |
नंदनी खड़ी मुस्कुरा रही थी और उसके साथ हाथों में शगुन की थाल
लिए मोतीलाल अपने पूरे परिवार के साथ खड़ा था | मोहन ने अपनी आँखे
अच्छी तरह झपकायी,
मानों सपने या हकीकत में फर्क कर रहा हो |
“ये सब हकीकत है जमाई जी, हमे अपनी बेटी
का रिश्ता लेकर आये है आपके लिए...|” मोतीलाल मानो झुककर
सामने खड़ा हो गया हो |
“फिर तो ये सपना ही है, शहर का सबसे अमीर
आदमी मेरे सामने झुककर खड़ा है |” मोहन आँखे मसलने लगा |
“मोहन...|” नंदनी की डांट ने उसे वापिस सीधा खड़ा कर दिया |
अब मोहन को साँस आने बंद हो गये थे, शहर का सबसे अमीर आदमी उसके सामने झुककर खड़ा था, मतलब कुछ तो ऐसा हुआ है, जो उसे नही पता
|
“यही सोच रहे हो ना, शहर का सबसे अमीर
आदमी तुम्हारे सामने झुककर क्यों खड़ा है....?” नंदनी ने कहते
हुए “और अपनी बेटी का रिश्ता तुमसे क्यों कर रहे है ?”
परेशानी में मोहन ने हाँ में गर्दन हिला दी |
“ये सब तुम्हारे मामा के वजह से है...|
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|
"नंदनी खुशी के साथ “कल restaurants में जब उनका message तुम्हारे phone पर आया था, तो मैं उन्हें reply में उन्हें सारी बात लिख दी थी |”
“और वो आज हमारे घर आये थे...?” मोतीलाल मुस्कुराते हुए यादों में चला गया |
अगले दिन मीठी वाणी धनी मोतीलाल के घर पर काफी तैयारी चल रही
थी |
घर को अच्छी तरह साफ किया जा रहा था और हर कोई नये कपड़ो में
इधर –
उधर घूम रहा था |
“जल्दी करो, 2 बज गये है...|” 55 के पार मोतीलाल परेशानी में घूमते हुए नौकरों से “महमानों के आने में एक घंटा बचा है |”
नौकर हवा की तरह काम कर रहे थे |
“हे मुरलीधर...|” सामने राधा – कृष्ण के मंदिर को देख हाथ जोड़ते हुए “उम्र कर गयी आपकी सेवा करते – 2, इतने उतार –
चढ़ाव आये, बाप ने घर से निकाल दिया, दिवालियाँ हो गया, बेटी ने पूरे शहर
में नाक कटवा रखी है,
फिर भी कभी तुझसे शिकायत नही की |” मोतीलाल गीली आँखों के साथ घुटनों पर बैठते हुए “अब तो लाज रख ले, मेरी बेटी का रिश्ता
अच्छे घर में करा दे |”
ऊपर नंदनी कपड़े और गहने पहनने में आनाकानी कर रही थी |
“ज्यादा नखरे मत कर...|” माँ उसे डांटती
हुई “शुक्र मना तेरे और उस कंगले के बारे में जानते हुए भी ये लोग
रिश्ते को मान गये...|”
माँ उसके सर पर मारती हुई “वरना करमजली पूरे शहर में नाक कटा चुकी है तू |”
“माँ मैं सिर्फ मोहन से शादी करूंगी, और ये final है...|” नंदनी उसकी मार से बचती हुई बोली |
“उसका मरना भी तय है...|” माँ फिर से उसे
मारती हुई “चुपचाप कपड़े पहन ले, वरना तू उससे पहले
मर जाएगी |”
माँ बाहर को तरफ चलती हुई “आयी बड़ी आशिकी दिखाने वाली |”
तभी नीचे से एक गाड़ी के horn की आवाज आयी तो सबके कान खड़े हो गये |
“ये तो जल्दी आ गये....|” मोतीलाल time देखने के बाद बाहर की तरफ दौड़ गया |
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|
मोतीलाल बाहर आया तो एक golden color की Rolls-Royce गाडी उसके घर में entry ले रही थी,
जिसे देखते ही मोतीलाल की आँखे बड़ी हो गयी थी | गाड़ी के रुकते ही दरवाजा खुला तो पक्के रंग की चमड़ी, पीली shirt, (जिस पर मोर के पंखो का
डिजाइन था),
हाथ में Rolex watch पहने आदमी नीचे
उतर गया |
आदमी एक अपना चश्मा उतारते मोतीलाल पर एक नजर मारी और वापिस
गाड़ी की तरफ देखने लगा |
मोतीलाल ने भी उस तरफ देखा तो लाल साड़ी के साथ एक हिरनी सी आँखे, चांदनी सा तेज, लम्बे होठो पर
मोहक सी मुस्कान लिए औरत उतर रही थी |
दोनों अब मोतीलाल के सामने जाकर खड़े हो गये |
“राधे – राधे...|” अपनी आदत के अनुसार खुद ही मोतीलाल के मुहं से निकल गया |
“राधा – राधे सेठ जी...|” चश्मा जेब में रखते हुए आदमी मुस्कुराया |
“अहो भाग्य मेरे, जो आपके दर्शन
हुए...|”
मोतीलाल ने कहा |
“आप बुलाते ही नही सेठ जी, हम तो कबसे आने के लिए तरसते है |” औरत ने कहा |
“अंदर पधारे...|” मोतीलाल ने कहा
|
आदमी ने पीछे की तरफ इशारा किया, तो ड्राइवर दोनों हाथो में कितने ही बड़े – बड़े थेले लिए उनके पास आकर खड़ा गया | दोनों मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गये और मोतीलाल की नजर थेलों में
दिख रहे गहनों के boxes
पर थी |
अदर सभी नौकर रफूचक्कर हो गये थे, आदमी और औरत मोतीलाल की शानोशौकत देख रहे थे | अब तक मोतीलाल की पत्नी भी वहाँ आकर उन्हें नमस्ते करती है |
“घर काफी शानदार बनाया है मोतीलाल जी...|” औरत ने मुस्कुराते हुए बोला |
“राधेलाल की कृपा है |” मोतीलाल ने हाथ
जोड़ते हुए कहा |
अब तक ड्राइवर सोफे पर थेलो से boxes निकाल जमा चुका था | जिनमें एक से एक
कीमती आभूषण और हार थे,
जिनकी कीमत भला मोतीलाल से अच्छा कौन जान सकता था |
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|
“आप तो कुछ ज्यादा ही ले आये भाईसाहब...|” पत्नी ने थोड़ा हैरानी में कहा |
“समय बलवान होता है भाभी जी, मनुष्य समय पर जिस जो चीज की ज्यादा कामना करता है, उसके सामने वो ही आ जाती है...|” औरत ने मुसकुराते हुए कहा |
“आप बैठिये ना...|” मोतीलाल बोला |
दोनों उसे देखकर मुस्कुराते हुए बैठ गया | चाय नाश्ता लाया गया |
“आपका लड़का नही आया...?” पत्नी ने पूछा
|
“शायद वो हमारे साथ आना नही चाहता था |” राधा लाल बोली |
“आप तो 3 बजे आने वाले थे, थोड़ा जल्दी आ गये...?” पत्नी ने फिर पूछा
|
अब तक नंदनी भी उतरे चेहरे के साथ नीचे आ गयी थी |
“कोई जरूरी काम होगा, इसलिए पहले यहाँ
आकर फिर वहाँ जाना होगा...?”
मोतीलाल हंसते हुए “मैं सही बोल रहा
हूँ ना भाईसाहब...?”
“हमे तो हर पल जरूरी काम रहते है, पर शायद जिसे आप सोच रहे है हम वो नही है...|” औरत ने कहा |
“क्या मतलब...?” मोतीलाल थोड़ा सोच
में पड़ गया |
“मेरा नाम बनवारी लाल है, ये मेरी पत्नी
राधा लाल...|”
आदमी ने कहा |
सुनते हुए बैठी हुई नंदनी हैरानी में खड़ी हो गयी |
“हम मोहन के मामा – मामी है...|” राधा लाल ने कहा |
पत्नी अब मोतीलाल को देख रही थी, जो बनवारी की शानोशौकत देख कुछ बोल ही नही पा रहा था |
“उसकी माँ के मरने के बाद हमे मोहन को एक स्वाभिमानी लड़का बनाया
है, जिसके चलते उसने कभी हमारी तरफ नही देखा...|” बनवारी मुस्कुराते हुए “कल आपकी बेटी ने
उसके phone
से हमे message डाला तो पता चला, उसके हीरे जैसे दिल की जगह आप उसे कांच के टुकडो से तौल रहे
है |”
“तो हमने सोचा, क्यों ना आपको
बताने आया जाये,
उसका दिल इन कांच के टुकडों से कही ऊपर है |” राधा लाल ने एक box आगे कर खोल दिया,
जिसमे कितने ही हीरे इधर – उधर डोल रहे थे |
मोतीलाल की तो आँखे ही चौंधियां गयी थी |
“आशा है, अब आपको ये रिश्ता करने
में करने में कोई दिक्कत नही होगी...|” बनवारी लाल ने
कहा |
मोतीलाल एक कमरे में बैठा हुआ चारों तरफ राधा – कृष्ण की हजारों पेंसिल, रंगो से बनी painting देखता हुआ अपनी यादों से बाहर आ गया |
“और पापा ने हमारे रिश्ते के लिए हाँ कर दी...|” नंदनी ने आगे बोला |
सुनते ही मोहन फुट – फुटकर रोता हुआ
मोतीलाल के पैरो में लेट गया |
“अरे क्या कर रहे हो जमाई जी, आपकी जगह पैरो में नही दिल में है...|” मोतीलाल ने मोहन
को उठाना चाहा पर वो रोता हुआ अपनी यादो में चला गया |
पिछली रात, मोहन अपने सकुन भरे चेहरे
के साथ एक painting
बना रहा था |
“पता है, आज नंदनी ने फिर डांटा...|” मोहन painting में रंग भरते हुए “बोली उसके पिता उसकी शादी कर रहे है, किसी बड़े खानदान में...|”
आँखों से टपकते दो आंसुओं के साथ मोहन सोचता रहा |
“मेरे जैसे अनाथ की तो वो अपने ड्राइवर से भी बराबरी नही करेगे...|” मोहन हंसते हुए “मैं भी बोल दिया, मेरे मामा के पास उसके बाप जैसे हजारो काम करते है |”
दो पल चुप रहकर मोहन painting बनाता रहा |
“कल उसका रिश्ता पक्का हो जायेगा, सभाल लेना...|” मोहन दो कदम पीछ
mobile
को देखने लगा, जिस पर notification की बत्ती जली हुई थी |
मोहन वापिस अपने ख्यालो से बाहर आया तो, उसके आंसू रुक ही नही रहे थे |
“अब उठ भी जाओ मोहन...|” नंदनी ने गीली
आँखों के साथ बोला |
मोहन उठता हुआ अपने आंसू पोछता पीछे painting के ढेर में कुछ खोज रहा था |
“क्या खो गया जमाई राजा...?” मोतीलाल ने पूछा |
थोड़ी देर की खोजबीन के बाद एक painting पर मोहन के हाथ रुक गये, पर आंसू अभी भी
भर रहे थे |
“क्या मेरे मामा ऐसे दिखते थे...?” मोहन ने painting उनकी तरफ की तो मोतीलाल
के हाथ से शगुन की थाली गिर गयी |
नंदनी उसकी मम्मी झटके से उठ अपने मुहं पर हाथ रख लेते है |
“मुरलीधर, आपने तो मुझे ठग लिया...|” मोतीलाल की आँखों से आंसू बहने लगे |
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|
सामने painting में राधा – कृष्ण की तश्वीर थी, बस कृष्ण जी के
हाथ में मुरली थी |
“आप सबने कितने पूण्य किये होंगे, जो आपको इनके दर्शन हुए है..|” मोहन रोते हुए “मैं तो बचपन से इनकी तश्वीर बना भक्ति कर रहा हूँ, हर पल इन्हें याद करता रहता हूँ उसके बाद भी...|” मोहन ने फिर से रोना चालू कर दिया |
“आपने मुझे ठग लिया मुरलीधर...!!!” कहते हुए मोतीलाल बाहर की तरफ दौड़ गया |
नंदनी और उसकी मम्मी भी उसके पीछे दौड़ गये | मोहन painting को सीने से लगाये रोता
रहा |
मोतीलाल किसी भी चीज की परवाह ना करते हुए नंगे पाँव दौड़ता जा
रहा था |
नंदनी और उसकी मम्मी उसे पीछे उसे आवाज दे रही थी, पर वो तो मानों पागल हो गया हो, उसके मुहं पर तो बस एक ही रट थी |
“मुरलीधर तूने मुझे ठग लिया |” दौड़ते हुए मोतीलाल के पैरो से कब खून निकलने लगा, उसे खुद पता नही चला |
मोतीलाल घर पहुंचा तो उसके मन का शक सही था, घर के दरवाजे से अंदर हाल तक चार पदचिन्ह छपे हुए थे | उसने पैरो से बहते खून और आँखों से टपकते आंसुओं की परवाह ना
करते हुए सामने देखा तो अभी भी सोफे और बनवारी लाल और राधा लाल बैठे थे |
“मुरलीधर...|” मोतीलाल चिल्लाता
हुआ जब तक उनके पास पहुंचा,
दोनों अंतरध्यान हो गये |
मोतीलाल जाकर मंदिर सामने रोने लगा |
“मैंने क्या अपराध कर दिया मुरलीधर, जो आप मेरे घर पधारे और मैं माया को देखा रहा..|” मोतीलाल मंदिर की चौखट पर सर पटकने लगा |
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|
“मोतीलाल...|” सामने मूर्ति से
राधा जी की आवाज आती हुई “हमने तुमसे क्या कहा था, जिस समय मनुष्य
को जिस वस्तु की इच्छा सबसे अधिक होगी, वही प्रकृति उसके
सामने प्रकट कर देती है |”
“आपने मेरे अंदर माया की चाहत क्यों जगायी प्रभु...|” मोतीलाल अपने कपड़े फाड़ते हुए “बचपन से माँ ने आपकी भक्ति सिखायी थी, मैंने रोटी नही खायी पर आपका नाम लिया, आपने मुझे छला है प्रभु..|”
“भक्ति तो मोहन भी हमारी बचपन से करता है मोतीलाल...|” कृष्ण जी की आवाज “पर तुमने जो देखा, वो ये सब क्यों नही देख पाया ?”
मोतीलाल जवाब जाने का इच्छुक था |
“तुम्हारे अंदर भक्ति के साथ सेवा का भाव भी है, मोहन भक्ति करता है परन्तु आत्म संतुष्ट है...|” राधा जी की आवाज “तुम जीव सेवा में
अपना योगदान देते हो,
इसलिए श्रेष्ठ हो |
“मैंने कहा गलती कर दी प्रभु...?” मोलीलाल रोते हुए बोला |
“हमने तुम्हें स्वतंत्र छोड़ा है मोतीलाल, हम तो तेरे ह्रदय में रहते है...|” कृष्ण जी की आवाज “तुमने समय के साथ
ह्रदय की सुननी छोड़ दी और संसार की सुननी शुरू कर दी, जिसका परिणाम तुम्हारे सामने है |”
“मेरी भक्ति का कोई मोल नही मुरलीधर...?” मोतीलाल ने पूछा |
“तुम्हारी भक्ति अनमोल है मोतीलाल..|” राधा जी की आवाज “तुम प्रत्यक्ष
हमारी वाणी सुन रहे हो,
क्या ये तुम्हारी भक्ति का प्रभाव नही है...?”
“मुझे क्षमा कर दो प्रभु...|” मोतीलाल काफी दिनों के बाद खुलकर रोया था |
नंदनी और उसकी मम्मी भी अब तक घर पहुंच रहे थे | मोतीलाल की हालत और घर में पड़े पदचिन्हों ने उनके सारे सवालों
के जवाब दे दिए थे |
आशा करता हूँ, मेरा ये नया प्रयास
आपको पसंद आएगा,
तो हाथी घोड़ा पालकी, जय.....?
To be continue…
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Bhagwan krishna best hindi story, बनवारी लाल भाग-1
Reviewed by Mr.Singh
on
January 01, 2020
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