एक आलीशान company के reception पर लोगों की भीड़ जमा थी | सूट – बूट पहने पता नही कितने नये लड़के – लडकियाँ वहाँ बैठे थे |
“राधे, राधे, राधे, राधे, राधे, राधे...|” Interview की बड़ी से line में बैठी एक लड़की (20) रटती जा रही थी |
अपने documents को recheck करने के साथ सभी उस आवाज से disturb हो रहे थे | गले में तुलसी की माला, गोल चेहरा, गोरी रंगत, बड़ी – 2 आँखे और आँखों पर गोल चश्मा लिए, एक हाथ में documents और दूसरा हाथ अपने bag में डालते लगातार जपती जा रही थी | लडकी के पास ही कुर्ते – पैजामे में एक बुढा बैठा अपना चश्मा साफ कर आस – पास के reaction को देख रहा था | हर कोई बूढ़े से आँखों के इशारे से लड़की को चुप करने के लिए बोल रही थी |
“मैंने आपसे पहले ही बोला था, इतनी बड़ी company में interview clear नही होगा |” नवल ने घबराहट में बोला |
“तुझे कैसे पता, नही होगा...?” दादा ने उसके सर पर हाथ रख लिया |
“दादा जी, मैं....|” नवल थोड़ा उत्सुकता में बोलने लगी |
“मुझे पता है नवल, तुम घबरायी हुई हो...|” बुढा उसके सर पर हाथ रखते हुए “माधव पर विश्वास है ना...?”
“उन्हें ही तो बुला रही हूँ, ताकि उन्हें भी पता चले, नवल शर्मा अपने दम पर भी job ले सकती है..|” नवल ने अपना चश्मा ठीक करते हुए बोला |
“अच्छा...?” बूढ़े ने नजरे नीची करते हुए नवल को देखा |
“मुझे डर लग रहा है दादी जी, उन्हें बुला रही हूँ, ताकि वो डर को भगा दे...|” अपनी मासूम आँखों के साथ नवल ने उतरते चेहरे के साथ बोला |
“क्या उन्हें कहीं बुलाने की जरूरत है नवल...?” दादा ने नवल का ध्यान खींचा, जो अभी नही बैग में हाथ डाले माला जप रही थी |
“पर उनका ध्यान तो खींचना पड़ता है ना, पता नही अपने किस परम भक्त के साथ लगे होंगे...?” नवल थोड़ा गीली आँखों के साथ “मुझे कौन याद रखता है ?”
“अच्छा तुम्हारी हाथ की कौन से ऊँगली सबसे बेकार है, जिसका use नही होता...?” दादा ने पूछा |
“सारी काम की है, कोई बेकार नही है...?” नवल ने नादानी में बोला |
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“क्यों एक छोटी, तो दूसरी बड़ी है, छोटी से ज्यादा काम तो बड़ी करती है...|” दादा ने बोला |
“तो क्या हुआ...?” नवल बनती हुई “सबका अपना – 2 काम है...|”
“इसी तरह माधव के लिए भी कोई भक्त छोटा या बड़ा नही होता, सबका अपना महत्व है...|” दादा ने बोला |
“अगर वो मेरा भी ख्याल रखते है तो मुझे डर क्यों लगता है...?” नवल ने धीरे से पूछा |
“क्योंकि तुम उन्हें मन से अपना नही मानती....|” दादा ने कहा |
“ऐसा नही है दादा जी...|” गीली आँखों के साथ नवल “मैं तो बच्पन से उनके साथ ही खेलकर बड़ी हुई हूँ, अपनी हर बात share की है उनके साथ |”
“क्या मानती हो, माधव से बड़ी कोई शक्ति नही है...?” दादा ने मुस्कुराते हुए पूछा |
नवल ने हाँ में गर्दन हिला दी |
“ये भी मानते हो, वो हमेशा तुम्हारे साथ रहेंगे...?” दादा ने आगे पूछा |
नवल ने फिर हाँ में गर्दन हिला दी |
“अब बताओ, क्या डर में उनसे भी ज्यादा शक्ति है...?” दादा ने बोला |
“Miss नवल शर्मा...?” तभी एक लड़की ने file में नाम पढते हुए सामने देखा |
नवल ने हाथ खड़ा कर दिया |
“Please come...|” लड़की मुस्कुराती हुई आगे बढ़ गयी |
नवल घबराहट में फिर से दादा की तरफ देखने लगी |
“यकीन है ना माधव पर...?” दादा ने नवल को हिम्मत दी पर अगले ही पल उसे खुद खांसी उठ गयी |
“Sorry दादा जी, अपना डर भगाने के लिए मैं जबरजस्ती आपको ले आयी...|” नवल ने दादा को पकड़ लिया |
“तेरी सुरत ही इतनी प्यारी है, कैसे मना कर सकता था, और इसी बहाने मुझे थोड़ा घूमने को मिल गया |” दादा उसे हिम्मत देखते हुए “भरोसा रखना |”
नवल फिर से बैग में हाथ डाल माला के साथ राधे – 2 रटती आगे बढ़ गयी |
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दूसरी तरफ एक शानदार office में तीन आदमी, जिनमें एक 40 के करीब, दूसरा 25, तीसरा 60 से भी ऊपर, बैठे file के ढेर को देखते आपस में बाते कर रहे थे |
नवल खटखटाते हुए दरवाजे पर खड़ी थी |
“Please come in...|” किसी बात पर हँसते हुए दूसरा आदमी (46) उसे बोला |
अपने चश्मे को ठीक कर नवल अंदर आकर खड़ी हो गयी |
“Miss नवल शर्मा...?” दूसरा आदमी सामने रखे resume को पढने के बाद बोला |
नवल थोडा हाँ में सर हिला देती है |
“Please set...|” आदमी अपनी तरफ इशारा करते हुए “मेरा नाम राज किशोर है...|” आदमी लड़के की तरफ इशारा करते हुए “ये अमृत किशोर, और ये योगेन्द्र किशोर है |”
नवल तीनो को नमस्ते करती सामने बैठ गयी |
“तो miss नवल शर्मा...|” राज किशोर उसका resume उठाकर “अपने बारे में कुछ बताइये |”
नवल आँखे नीचे किये कुछ सोच रही थी | तीनो एक - दूसरे को देखने लगे | अमृत नवल को घबराया सोच मुस्कारते हुए अपना mobile check करने लगा |
“Miss नवल, आप घबरा रही है...?” योगेन्द्र ने पूछा |
नवल ऊँगली के इशारे से उसे चुप करा देती है | अमृत और राज देखकर हैरान रह गये, एक interview पर आयी लड़की ने योगेन्द्र किशोर (Company के CEO) को चुप करा दिया | अमृत नवल की इस हरकत से गुस्सा हो कुछ बोलने लगा पर मुस्कुराते हुए योगेन्द्र ने उसे रोक दिया |
“Sorry sir, आप कुछ बोल रहे थे...?” नवल अपने बैग से हाथ निकाल माथे पर लगाती हुई बोली |
“आप क्या कर रही थी miss नवल...?” योगेन्द्र ने पूछा |
“कुछ नही sir, कृष्ण का नाम ले रही थी...?” नवल ने मुस्कुराते हुए कहा |
“आपको interview पर बैठने के बाद ये सब याद आया...?” अमृत ने हैरानी में पूछा |
“कृष्ण का नाम लेने का कोई time थोड़ा ही होता है...?” नवल थोड़ी सादगी के साथ “वो तो कभी भी, कहीं भी ले सकते है, और इसमें गलती भी तो आपकी ही है...?”
“Oh really...?” अमृत उत्सकुता के साथ “वो कैसे...?”
“Reception और room के बीच थोडा तो gape रखना चाहिए, ताकि कोई एक माला तो पूरी कर सके...|” नवल थोडा हैरानी में “ये क्या बात हुई, दो कदम रखे नही कि आ गये |”
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योगेन्द्र और राज मुस्कुराने लगे, पर अमृत को गुस्सा आ रहा था |
“तो आपके हिसाब से miss नवल हमे क्या करना चाहिए...?” अमृत ने थोडा आगे झुककर पूछा |
“आपको ना...|” नवल गुस्से में तमतमाते अमृत के चेहरे को देखते हुए “राधे – राधे नाम जपना चाहिए, दिमाग ठंडा रखने में आसानी होगी |”
फिर से राज और यौगेंद्र मुस्कुराने लगे पर अमृत का गुस्सा बरकरार था |
“Ok, Miss नवल आप अपने बारे में कुछ बताइये, अपनी job, experience, family के बारे में...?” राज ने topic को बदलना चाहा |
नवल जवाब ना देकर उठकर राज को अपनी तरफ आने का इशारा करती है | राज, अमृत और सोचता योगेन्द्र उसे देखते रहे | राज ने योगेन्द्र की तरफ देखा तो उसने गर्दन से हाँ में इशारा कर दिया | राज उठकर आगे बढ़ गया |
“आपका ही बेटा है ना...?” नवल ने धीरे से उसके कान में बोला |
राज गुस्से में लाल अमृत, (जो उनकी बात सुनने की कोशिश कर रहा था) को देखने के बाद नवल को देखता हाँ में गर्दन हिला देता है |
“घर पर भी इसी रौब दिखता होगा, किसी की सुनता भी नही होगा...|” नवल ने कहा |
“बिलकुल ठीक बोल रही हो....|” राज धीरे से “नाक में दम करके रखता है |”
“आपने बच्पन में इसे मारा नही होगा, तभी ऐसा है...|” नवल ने कहा |
“गलती हो गयी...?” राज ने नवल को बोल वापिस अपनी सीट पकड़ ली |
“दादा जी मैं handle करूं...?” अमृत ने पूछा |
योगेन्द्र ने हाँ में इशारा कर दिया |
“तो miss नवल...|” अमृत बोला ही था |
“शर्मा...|” नवल ने कहा |
“What...?” अमृत ने हैरानी में पूछा |
“मेरा पूरा नाम, miss नवल शर्मा...|” नवल ने कहा |
योगेन्द्र और राज अपने मुहँ पर हाथ रख हँसने लगे |
“Miss नवल शर्मा, अपने बारे में कुछ बताइये please, क्या आपको ये job चाहिए...?” अमृत ने आँखे दिखाते हुए कहा |
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नवल फिर से अमृत को देखने लगी |
“What...?” अमृत ने थोडा गुस्से में पूछा |
“डराकर job दोगे...?” नवल ने अगला सवाल किया |
अब योगेन्द्र और राज की हंसी रुक नही रही थी |
“इसे job नही चाहिए dad, reject her...|” अमृत ने resume को फेकना चाहा |
“आराम से अमृत, तुमसे तरीका नही आता...|” योगेन्द्र नवल का resume लेते हुए “तुम्हारी family में कौन – 2 है miss नवल शर्मा...?”
“दादा जी मेरी family में....|” नवल ने अपने मुहँ पर हाथ रख लिया |
योगेन्द्र और राज के साथ अमृत भी नवल को देखने लगा |
“Sorry sir, आप भी मेरे दादा जी की तरह दिखते है तो, वो बाहर ही बैठे है...|” नवल पूरी मासूमियत के साथ “मेरे मुहँ से निकल गया |”
“It’s ok...|” योगेन्द्र एक paper पर कुछ लिखने के बाद बोला |
“मेरे घर में मेरे दादा और दादी ही है...|” नवल ने बोला |
“क्यों मम्मी – पापा ने छोड़ दिया क्या...?” शब्दों की मर्यादा भूल अमृत के मुहँ से निकल गया |
“अमृत....!!!!” राज की डांट से पूरा कमरा गूंज गया |
नवल भी डर गयी | योगेन्द्र गुस्से से भरी आँखों के साथ अमृत को घूर रहा था |
“Sorry....|” अमृत ने धीरे से कहा |
“वो मेरे जन्म के कुछ दिनों बाद ही road accident में मारे गये, मैं बच गयी...|” नवल गीली होती आँखों के साथ “सब कहते है मैं मनहूस हूँ तो...|”
“क्या college के बाद ये तुम्हारी पहली job होगी...?” राज ने पूछा |
“नही sir, मेरे दादा जी की किराना की दुकान है, मैं ही वहाँ का सारा हिसाब – किताब देखती हूँ, एक पैसे की भी गडबड नही होने देती और महौल्ले में होली से लेकर जन्मष्टमी और दीवाली तक की सारी जिम्मेदारी मेरी ही होती है |” नवल की आवाज में जोश था |
“ये किराना की दूकान नही है, एक company है...|” अमृत ने कहा |
“एक बड़ी किराने की दूकान ही ना....?” अब नवल की आँखों में वो भाव था, जिसने यौगेंद्र को भी सीधा बैठने पर मजबूर कर दिया था |
राज अपने mobile पर आ रही call को side में कर देता है |
“Dad इस लड़की को job नही चाहिए, ये हमारा time खराब कर रही है...|” अमृत उठते हुए “इसे बाहर निकलवा देते है |”
“तुम खुद क्यों नही बाहर छोड़ आते...?” योगेन्द्र ने बोला |
अब अमृत को जोश आ गया था |
“But sir, मैंने क्या गलत बोला, यहाँ भी तो वही काम होता है ना...?” नवल अड़ गयी |
“Miss नवल शर्मा, हम आपको ये job नही दे सकते, please आप बाहर जाइये...|” अमृत उसे पास आकर खड़ा हो गया |
“Sir मेरी family के लिए job बहुत important है...|” नवल थोडा नम्र आवाज में “मेरी दादी को अस्थमा है तो...|”
“Dad ये झूठ बोल रही है, इसे...|” कहते हुए अमृत ने नवल का हाथ पकड़ लिया |
अगले ही पल नवल का योगेन्द्र, राज के सामने गिडगिडाना और अमृत का नवल को बाहर निकालने का जनून कहीं खत्म हो गया | नवल और अमृत के अंदर मानों एक साथ, एक ही भावना ने जन्म लिया हो | नवल अपनी हथेली को देखने लगी, जिसे अमृत ने पकड़ा हुआ था | अमृत बड़ी अजीब तरह से नवल की छुवन को महूसस कर रहा था | नवल ने हैरानी में अमृत को देखा, जिसने उसकी हथेली को ओर दबा लिया था | नवल झटके से उठ गयी | अमृत ने झटके से उसका हाथ छोड़ दिया | नवल हडबडाती उन दोनों को नमस्ते कर चलने लगी |
“तुम्हारे दादा जी का क्या नाम है बेटी...?” योगेन्द्र ने पूछा |
“जी बनवारी लाल शर्मा....|” नवल बाहर दौडती चली गयी |
अमृत एक खिचावं के साथ उस तरफ देखता रहा |
“अमृत...|” राज ने उसे टोका |
“हू....?” अमृत ने बाहर की तरफ देखना नही छोड़ा था |
“अमृत...?” राज ने मुस्कुराते हुए फिर पुकारा |
“हू....|” अमृत का मोह अभी भी नही टूट था |
राज यौगेंद्र को देखने लगा, जो paper पर कुछ लिख रहा था |
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नवल अमृत की छुवन को याद करती अपनी हथेली को पकड़े, अपने दादा की साथ चल रही थी |
“क्या हुआ...?” दादा उसका ध्यान तोड़ते हुए “क्या बोला उसने...?”
“मैं उनके हिसाब से job में fit नही बैठती...|” नवल फिर उसे अमृत के बारे में सोचने लगी |
“क्यों ऐसा क्या हो गया...?” दादा ने फिर से “तूने जवाब सही से नही दिए |”
“मैंने तो सब सही ही बोला था, पर वो समझना नही चाहते थे...|” नवल ने फिर बोला |
“वो सब या वो अमृत...?” दादा ने कहा |
“समझता क्या है खुद को, बड़े बाप की औलाद है तो कुछ भी बोलेगा...?” नवल गुस्से में “बात करने की तमीज नही है और मुझे बोलता है, उसकी company कोई किराना की दुकान नही है |”
अगले ही पल नवल कुछ सोचती हुई अपने मुस्कुराते दादा को देखने लगी |
“आपको कैसे पता, अंदर अमृत नाम का कोई लड़का था...?” नवल ने कहा |
तभी उसका phone बजने लगा |
“तुम्हारा mobile बज रहा है...|” दादा ने नवल का ध्यान तोड़ दिया |
“Hello...|” नवल अपने दादा को देखती mobile पर बोली |
“नवल, चमत्कार हो गया...|” Mobile से दादा की आवाज आती हुई “तेरे लिए योगेंद्र किशोर के पोते का रिश्ता आया है, बहुत अच्छा खानदान है |”
नवल झटके से सामने खड़े अपने दादा को देखने लगी |
“अरे पागल, पहले तो मुझसे चिपटी रही, interview पर मेरे साथ चलना और बाद में मेरे बाजार से आने के पहले ही निकल गयी...?” Mobile से आवाज आयी |
सुनते ही नवल का mobile हाथ से छुट गया | वो दो कदम पीछे हट सामने खड़े बूढ़े को देखने लगी |
“आप कौन हो...?” नवल ने पूछा |
“बनवारी लाल, तो मेरी छोटी ऊँगली, अमृत कैसा लगा...?” बूढ़े ने थोड़ा झुककर पूछा |
“कृष्णा....!!!” नवल रोती हुई बूढ़े से लिपट गयी |
“तूने कैसे सोच लिया पगली, मुझे तेरा ख्याल नही रहता...?” माधव नवल के सर पर हाथ फिराते हुए “तू जितना मुझे याद करती है, मैं तुझे उससे दौगुना याद करता हूँ |”
“इतना ही याद करते हो तो आज जाकर मुझे देखने का ख्याल आया...?” नवल उसे जकड़ती हुई “अबसे पहले कहाँ थे, मेरे पापा – मम्मी को छीन लिया, मुझे दादा – दादी के साथ अकेला छोड़ दिया |”
“तुम्हारे मम्मी – पापा की जीवन लीला खत्म हो गयी थी, तो वो मुझमे समा गये....|” माधव नवल की आँखों से आंसू पौछ्ते हुए “और रही तुम्हें अकेले छोड़ने की बात तो, कभी सोचा, exam में pen खत्म होने पर teacher खुद ही pen कैसे देती थी, बाजार के दुकानदार का नौकर घर तक सामना छोड़ने क्यों आता था, दीवाली की तैयारी कराने वाले लड़के अचानक कैसे प्रकट हो जाते थे, या महौल्ले के तानो से बचने के लिए नये – 2 idea कैसे आते थे...?”
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“कृष्णा.....!!!” नवल फिर से रोती माधव से लिपटती हुई “मैं कितनी गंदी हूँ, आप मुझसे मिलने आये और मैं आपसे शिकायत कर रही रहूँ...|”
“बिलकुल नही, तू तो मेरी सबसे प्यारी बच्ची है, जो हर बार मुझे दिल से याद करती है |” माधव फिर उसे सर को सहलाते हुए “जो भी मुझे सदा दिल से याद करता है, मैं सदा उसके पास ही रहता हूँ, चाहे रूप कोई भी हो |”
नवल अभी भी जी भरकर रो रही थी, उसे साक्षात मोहन के गले लगने का सौभाग्य मिल रहा था, जो करोड़ो जन्मों की तपस्या के बाद भी नही मिलता |
“तुझे अमृत पसंद है ना...?” माधव ने पूछा |
“आपने चुना है तो ठीक ही होगा....|” नवल ने शर्माते हुए अपना चेहरा छिपा लिया |
“पागल...|” माधव मुस्कुराने लगे |
“राधे, राधे, राधे, राधे...|” नवल आँखे बंद किये रटती रही |
तो दोस्तों, हाथी घोड़ा पालकी, जय.......
To be continue…
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Bhagwan krishna best hindi story, बनवारी लाल भाग-3
Reviewed by Mr.Singh
on
January 01, 2020
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