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Chapter-1
सिद्धार्थ : कौन है...?
आवाज : मैं आस्था हूँ...|
सिद्धार्थ : कौन आस्था...?
आस्था : आपसे appointment थी मेरी...|
सिद्धार्थ : मुझे याद नही, जाओ यहाँ से...!!
आस्था : देखिये, हमने phone पर बात की थी, आप...|
सिद्धार्थ : बोला ना जाओ, मुझे किसी से नही मिलना !!!
आस्था : आप.....|
सिद्धार्थ : सुनायी नही देता तुम्हे...?
आस्था : मेरे पास जाने के लिए घर नही है |
सिद्धार्थ : मैंने क्या धर्मशाला खोल रखी है ?
आस्था : एक बार मेरी बात सुन लीजिये, मुझे काफी तकलीफ है |
सिद्धार्थ : मेरा पहले से ही दिमाग खराब है, जाओ please...|
आस्था : देखिये बाहर बारिश हो रही है, मैं भीग चुकी हूँ |
अंदर से आवाज नही आयी, फिर से दरवाज पर knock हुई |
अगले ही पल मानो दरवाजे पर कोई स्टील का गिलास आकर लगा |
आस्था : एक काम कीजिये, आप ऐसे ही मेरी बात सुन लीजिये |
अंदर से फिर से आवाज नही आयी |
अगले ही पल अंदर से टीवी चलने की आवाज आने लगी |
आस्था की तरफ से बातचीत खत्म हो गयी |
तीसरे ही पल light चली गयी |
चौथे पल अंदर माचिस जलने की आवाज आयी |
आस्था : बाहर अँधेरा ज्यादा है |
सिद्धार्थ की तरफ से कोई जवाब नही आया |
आस्था : आपका कुत्ता भी ज्यादा भौंक रहा है |
सिद्धार्थ : मैं कुत्ता नही पालता |
आस्था : आ..., आ..., आवाज तो आ रही है |
सिद्धार्थ : वो जंगली कुत्ता है |
आस्था : मुझे काट लेगा !!!
सिद्धार्थ : वे सब यहाँ तक नही आते |
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सिद्धार्थ : मेरी तबियत खराब है, जाओ |
आस्था : नही जा सकती, वो मुझे जीने नही देगा |
सिद्धार्थ : मैं कुछ नही कर सकता |
आस्था : मैंने काफी नाम सुना है आपका |
सिद्धार्थ : वो सब पुरानी बात है, अब मेरे हाथ में कुछ नही |
आस्था : एक बार सुन तो सकते है ना ?
सिद्धार्थ की तरफ से कोई जवाब नही आया,
आस्था की साँसों की आवाज दरवाजे से आ रही थी |
अगले ही पल एक हल्की सी चीख बाहर की तरफ से आयी |
आस्था : आह... !! मैं फिसल गयी, मुझे खून निकल गया |
सिद्धार्थ : यहाँ अक्सर फिसलन रहती है |
आस्था : आपके पास दवाई है ?
अंदर से फिर कोई जवाब नही आया |
आस्था : आप मुझसे मिलना क्यों नही चाहते !!?
सिद्धार्थ : जब काम नही करना तो मिलना कैसा ?
आस्था : सुन तो सकते है, मैं कैसे मर रही हूँ ?
सिद्धार्थ : यहाँ ज्यादा देर रुकी तो अभी मर जाओगी |
फिर बाहर से किसी के रोने की आवाज आने लगी,
लेकिन अंदर से कोई जवाब नही आया |
आस्था : मुझे श्राप लगाया गया है, जानबुझकर |
सिद्धार्थ : श्राप गलती से लगते है |
आस्था : पर, मुझ पर जानबुझकर लगाया गया है |
सिद्धार्थ : किसने लगाया ?
आस्था : Market में |
सिद्धार्थ : कैसे ?
आस्था : आप दरवाजा खोलेगे ?
सिद्धार्थ : आवाज सुन रही है ना मेरी...?
कुछ पलो के लिए बाहर से आवाज आनी बंद हो गयी |
सिद्धार्थ : मुद्दे पर आओ !!!
आस्था : किसी ने मुझे एक कागज की पुडिया दी थी |
सिद्धार्थ ने जवाब नही दिया |
आस्था : मैंने उसके खोलकर देखा तो...|
सिद्धार्थ : क्या था उसमे...?
अब आस्था की तरफ से आवाज नही आयी |
पर बाहर से कुत्ते के भौकने की आवाज लगातार आ रही थी |
आस्था : राख, एक सुखी लकड़ी और लाल रंग से बना शैतान का चित्र |
सिद्धार्थ : उसमे कुछ लिखा था ?
आस्था : हाँ...|
सिद्धार्थ : क्या ?
सिद्धार्थ : क्या नाम था...?
आस्था : नही ले सकती |
सिद्धार्थ : क्यों..?
आस्था : नाम लेते ही वो हावी हो जाता है |
सिद्धार्थ : फिर क्या हुआ...?
आस्था : मैंने मजाक समझ राख गिरा दी |
सिद्धार्थ : लकड़ी ?
आस्था : गटर में फेंक दी |
सिद्धार्थ : और कागज ?
आस्था : फाड़कर फेंक दिया |
उसके बाद आस्था के रोने की आवाज आने लगी |
सिद्धार्थ की तरफ से कोई दिलासा नही आया |
आस्था : उस रात मुझे गहरी नींद आयी |
सिद्धार्थ ने जवाब नही दिया |
आस्था : अगली सुबह मैं उठी तो...|
फिर से आस्था के रोने की आवाज आने लगी |
सिद्धार्थ : क्या हुआ....?
सिद्धार्थ : तुम्हारी शादी हो गयी ?
आस्था : हम्म्म्म....|
रोने की वजह से आस्था के शब्द नही निकले |
सिद्धार्थ अंदर ही गुस्से में बडबडाने लगा |
आस्था : मेरे पति नेवी में है, 3 महीने से घर नही लौटे..|
सिद्धार्थ : नौटंकी बन करो और जाओ यहाँ से...|
आस्था : मैं कसम खाकर बोलती हूँ मैं...|
सिद्धार्थ : मेरा समय बर्बाद मत करो !!!
सिद्धार्थ ने अंदर कुर्सी उठाकर पटक दी थी |
आस्था : मैं झूठ नही बोल रही |
सिद्धार्थ : अपने नाजायज रिश्ते सभालकर रखो |
आस्था : मैं sex की भूखी नही हूँ |
आस्था चिल्लाते हुए दरवाजा पीट रही थी |
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आस्था : उस रात के बाद मैं आज तक सो नही पायी हूँ |
आस्था : उस रात के बाद मैं आज तक सो नही पायी हूँ |
आस्था का रोना बारिश के शोर से ज्यादा था |
अगले कुछ पलो में अंदर से बर्तन गिरने की आवाज आयी |
आस्था : पहले मुझे भी विश्वास नही था |
सिद्धार्थ : हर चीज अविश्वास से शुरू होती है |
आस्था : मेरी हर रात खौफ के साये में गुजरती है |
सिद्धार्थ : Doctor से बात की तुमने ?
आस्था : दिमागी वहम बोल दिया |
आस्था : नही बता पायी |
सिद्धार्थ : कोई दोस्त, रिश्तेदार ?
आस्था : उसने धमकी दी है, सबको मार डालेगा |
सिद्धार्थ : भगवान को मानती हो ?
आस्था : अब शैतान को देख लिया तो, हाँ...|
सिद्धार्थ : मेरे पास क्यों आयी हो...?
आस्था : शायद हम एक जैसे है |
सिद्धार्थ : मैं मदद नही कर सकता |
आस्था : आसानी से मर कैसे सकती हूँ ये तो बता सकते है ?
सिद्धार्थ की तरफ से जवाब नही आया, पर किताबो के पलटने की आवाज आयी |
आस्था : मुझे नही पता, मैं अक्सर घर से गायब रहती हूँ |
सिद्धार्थ : क्या ?
आस्था : कितनी ही सुबह मेरे हाथो पर खून होता है |
सिद्धार्थ : किसका खून ?
आस्था : पता नही |
सिद्धार्थ : कुछ अजीब घटता है आस – पास ?
आस्था : कुत्ते भौकते है मुझे |
सिद्धार्थ : और ?
आस्था : बच्चे डरते है मुझसे |
सिद्धार्थ : आईना है घर में ?
आस्था : मुझे देखना पसंद नही है |
सिद्धार्थ की तरफ से कोई जवाब नही आया |
आस्था : मैं मरना चाहती हूँ |
सिद्धार्थ : आसानी से नही मर पाओगी |
To be continue…
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Best hindi horror story 2020, आस्था (A mystery) भाग-1
Reviewed by Mr.Singh
on
December 30, 2019
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