आस्था (A mystery)
Part-2
आस्था : इस तड़पन से छुटकारा
मिलेगा |
सिद्धार्थ : पर मुक्ति
नही मिलेगी |
आस्था की जगह बारिश अब
जवाब दे रही थी |
सिद्धार्थ : कौन है वो...?
आस्था : पता नही |
सिद्धार्थ : क्या चाहता
है...?
आस्था : पता नही |
सिद्धार्थ : दिखता कैसा
है...?
आस्था : आँखे लाल है उसकी
|
सिद्धार्थ अभी भी सुन
रहा था |
आस्था : उसकी सांसे गर्म
और बदबूदार है |
सिद्धार्थ : कोई आकार
है उसका ?
सिद्धार्थ : जवाब नही
देना तो जाओ यहाँ से !!!
आस्था : किसी सांप की
तरह मुझे जकड़ लेता है |
सिद्धार्थ : जिस्म है
उसका...?
आस्था : इतना घिनोना कि
आँखे बंद हो जाती है |
सिद्धार्थ : बात करता
है तुमसे...?
आस्था : खाली हँसता रहता
है |
सिद्धार्थ : पूछा नही
क्या चाहता है ?
आस्था : मौका ही नही देता
|
अंदर से कुछ paper
पलटने की आवाज आने लगी |
आस्था : क्या आपके पास
कोई इजाल है ?
सिद्धार्थ : इलाज से पहले
पता तो होना चाहिए, मर्ज का |
आस्था : मैं क्या करूं...?
आस्था चिल्ला - 2 कर रों रही थी |
अगले ही पल कुत्ते के
भौकने की आवाज दो ही गयी |
इस बार आस्था ने दरवाजा
खोलने के लिए नही बोला |
सिद्धार्थ : बाहर का gate
बंद है ?
आस्था : हाँ |
सिद्धार्थ : वो तुम्हें
कहाँ ले जाता है ?
आस्था : पता नही,
सब मेरे साथ सपने सा घटता है |
सिद्धार्थ : कुछ तो याद
होगा ?
आस्था : चारो तरफ अँधेरा,
गीला, सीलन की बदबू आती है |
सिद्धार्थ : हर बार ?
आस्था : नही,
पर ज्यादातर |
सिद्धार्थ : और क्या याद
है...?
आस्था : श्मशान की जलती
चिताए,
लोगो का रोना |
सिद्धार्थ : लगता है लोगो
को तडपाने में मजा आता है ?
आस्था : बहुत |
आस्था : काफी जगह से |
सिद्धार्थ चुप हो गया
|
आस्था : आपके पास कोई
इलाज है ?
सिद्धार्थ : तुम्हें फिर
से वो तीनो चीजे जुटानी पड़ेगी |
आस्था : कौन सी चीजे ?
आस्था का दिल जोर से धडक
रहा था |
सिद्धार्थ : कागज,
राख, हड्डी |
आस्था : हड्डी...,
पर वो तो लकड़ी थी |
सिद्धार्थ : नही वो हड्डी
थी |
आस्था : वो सब तो फेंक
दिया |
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सिद्धार्थ : चिता की राख, चमगादड़ की हड्डी और तुम्हारे खून से बना चित्र |
सिद्धार्थ : चिता की राख, चमगादड़ की हड्डी और तुम्हारे खून से बना चित्र |
आस्था : पर मैं कैसे करूंगी...?
सिद्धार्थ : इस सबसे मुक्ति
चाहिए तो करो |
तभी कुत्तो का भौकना दो
से तीन हो गया |
बाहर के गेट कुत्तो के
उछले,
कूदने की आवाजे आने लगी |
आस्था : लाल आँखों वाले
तीन कुत्ते दरवाजा तोड़ रहे है |
सिद्धार्थ : वो यहाँ तक
नही आते |
अगले ही पल बाहरी गेट
के खुलने के साथ कुत्तो के दौड़ने की आवाज आयी |
आस्था : वो मेरी तरफ आ
रहे है |
आस्था दरवाजा पीटने लगी
|
कुत्ते उस पर चढ़े जा रहे थे |
आस्था : मुझे बचाइये...!!!
अँधेरे में सीडियों पर
पड़ी एक आक्रति तो दिख रही थी, पर अँधेरे में कुत्ते नजर नही आ रहे थे |
सिद्धार्थ : आस्था,
तुम ठीक हो ?
आस्था : आपको उस शैतान
का नाम जानना था ना |
सिद्धार्थ : हाँ...?
अगले ही पल आस्था हँसी
और उसकी आवाज में किसी आदमी की आवाज mix हो गयी |
लाल अंगार सी आँखों के
साथ बिखरे बाल, जला
हुआ चेहरा, बदबूदार
साँस के साथ,
आस्था सिद्धार्थ पर झपट
गयी |
आस्था : उसका नाम है आस्था....
!!!!!!
अगले ही पल सिद्धार्थ
की चीख बारिश की बूंदों के बीच दब गयी, पीछे दरवाजे पर लटका,
दुर्गा यंत्र हवा में
झूल रहा था |
Constable: साहब,
जानवर ने लाश को बुरी तरह चीरा - फाड़ा है |
Inspector: आस –
पास की तलाशी लो और लाश का पंचनामा करो |
पड़ोसी :ये तो बड़े शांत
आदमी थे,
किसी से ज्यादा बात नही करते थे |
Inspector:ये काम
क्या करता है ?
पड़ोसी :प्रोफेसर थे,
वो तंत्र – मंत्र वाले |
Inspector: क्या,
ये भूत - प्रेत भगाते थे ?
पड़ोसी : कुछ ऐसा ही साहब,
वो बीमारियों का ईलाज करते थे,
पागलों की ठीक करते थे ।
Inspector: ये इनका घर सबसे अलग जंगल के पास क्यों है ?
पड़ोसी : ये अक्सर कहते
थे,
मेरे काम की वजह से किसी को दिक्कत नही होनी चाहिए ।
Inspector: किसी पर शक है ?
पड़ोसी : ज्यादा तो कुछ
नही पता साहब, पर काफी
दिनों से परेशान से थे, पूरी कालोनी के हर घर पर जबरजस्ती दुर्गा कवच लटकवा दिया था ।
Inspector: क्यों ?
पड़ोसी : पता नही,
बडबडा रहे थे, कोई चालाक शैतान आजाद हो गया है ।
Inspector:ठीक
है,
पता नही क्या -2 बकवास करते रहते है लोग भी, अपने दरवाजे और खिड़की बंद करके रखा करो |
पड़ोसी :जी साहब |
सब काम निपटा इधर –
उधर निकल गये |
शहर का बाहरी इलाका,
एक घर में सोफे पर बैठी औरत किताब पढ़ रही थी |
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई
|
औरत :कौन...?
दिन के 4 बजे, बारिश चालू थी तभी एक दरवाजा खुला तो,
आँखों पर चश्मा, कंधे के बैग में कुछ खोजती लड़की सामने खड़े थी |
माथे पर बिंदी,
लाल साड़ी और बड़ी - आँखों के साथ दरवाजे के अंदर खड़ी औरत लड़की
के उस पर
ध्यान देने का wait
कर रही थी |
लड़की :Oh
! Sorry.... !!
लड़की ने पीछे की तरफ झटका
लिया,
मानो उसका दिल ही रुक गया हो |
औरत :तुम ठीक हो...?
आँखों में दहशत और कांपते
हाथ के साथ लड़की ने हाँ में सर हिला दिया |
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औरत :तुम आस्था हो ना...?
औरत कुछ याद करते हुए
बोली |
आस्था : क्या मैं अंदर
आ सकती हूँ...?
कडकती बिजली के साथ आस्था
फिर से डर गयी |
औरत : Please
come...|
औरत side
हो गयी और दिल में समाये डर को आँखों में छिपती आस्था ने अंदर
entry
ली |
हल्की लाल रौशनी के बीच
घर मानो घर कम library ज्यादा
लग रही थी |
औरत :तुम भीग चुकी हो,
तुम्हारे लिए towel लेकर आती हूँ |
औरत ने आस्था के बैग के
लिए हाथ आगे किया पर आस्था डर की वजह से पीछे हट गयी |
औरत :घबराओ मत,
बैग दो |
अपने पानी की बुँदे गिरे
चश्मे के साथ आस्था औरत को देखकर बैग उसकी तरफ कर देती है |
औरत :I
just come...|
मुस्कुराती औरत अंदर की
तरफ बढ़ गयी | तभी
फिर से बिचली कडकी और एक हिचकी के साथ खिड़की ने उसका ध्यान खींचा |
आस्था : Light...|
हल्के कदमो के साथ आस्था
बारिश की बूंदों से भीग चुकी खिड़की के पास पहुंची, तो नीचे सडक पर कोई धुंधली से आकृति थी |
आस्था ने ध्यान से देखना
चाहा तो शायद कोई भिखारी सडक के किनारे पन्नी में बैठा बारिश से बच रहा था |
औरत :क्या देख रही हो..?
आस्था ने फिर झटके से
औरत का रुख किया |
औरत :Relax,
तुम तो ज्यादा ही react कर रही हो |
आस्था : Sorry
वो मैं...|
Towel लेने
के साथ आस्था गर्दन झुका लेती है | औरत ने भाप निकलती coffee सामने table पर रख दी और खुद सामने सोफे पर बैठ गयी |
अपने बाल सुखा आस्था कपड़ो
का पानी साफ़ कर औरत के सामने आकर खड़ी हो गयी |
औरत :बैठ सकती हो |
आस्था अपने पैरो को समेटती
सामने लाल रंग के सोफे पर बैठ गयी |
औरत :Tell
में आस्था, अगर तुम्हरी परेशानी की बात करे तो,
10 out of कितनी मुसीबत में हो ?
आस्था : आप खुद ही अंदाजा
लगा लीजिये |
आस्था ने पेट से अपना
सूट side
किया तो औरत की आँखों में चिंता दिखने लगी |
आस्था के पेट पर मानो
कुत्ते के काटने के जख्म थे | औरत आस्था को देखने लगी, जिसकी आँखों से आँसू बस गिरने ही वाले थे |
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औरत ने ध्यान वापिस किताब पर लगा लिया |
आस्था : Please
help me...|
आस्था रोने लगी |
औरत :मुझे starting
से बताओ, क्या हुआ था, कैसे हुआ था...?
आस्था अपने आँसू पोछ सुबकने
लगी |
औरत उसे coffee के लिए इशारा करती है |
औरत :फिर ये सब कैसे शुरू
हुआ...?
आस्था : किसी ने मुझे
जानबुझकर शाप लगवा दिया |
औरत के चेहरे पर लकीरे
पड़ने लगी,
मानो वो समझी ना हो
|
आस्था coffee
उठाकर उसे सारी बात बता देती है |
औरत coffee के साथ उसकी बाते सुनती रही |
फिर से बिजली कडकी,
जिसके साथ ही आस्था ने बात खत्म कर दी |
औरत :ऐसा case
मैने पहेली बार देखा है |
आस्था : Please
मेरी मदद कीजिये, मैं मरना चाहती हूँ, पर...|
औरत :पर क्या...?
औरत शक भरी नजरो के साथ
आस्था को देखने लगी |
आस्था : खुद को सर में
गोली मारने के बाद भी मुझे मौत नही आती |
औरत झटके से पीछे हो गयी
|
आस्था फिर से रोने लगी |
To be continue…
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Best hindi horror story 2020, आस्था (A mystery) भाग-2
Reviewed by Mr.Singh
on
December 31, 2019
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