आस्था (A mystery)
Part-50
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Hello dears,
मैं सोच रहा था, आपके ढेर सारे सवाल हो गए है, जैसे कि website लेकर, stories को लेकर, आदि-अनंता लेकर, मेरी stories को लेकर | तो क्यों live होकर सवाल-जवाब हो जाये ?
तो मैं सोच रहा हूँ, Insta और FB पर लाइव हो जाते है | तो अपने सवालों के साथ Date और time आप decide कर लीजिये | जो मेरे साथ Insta और FB पर नहीं जुड़े link नीचे है |
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मधु आस्था के जवाब को सुन थोड़ा सोच में पड़ गयी |
आस्था : आप तो मुझसे senior है, आपको office के rule तो पता ही होंगे, काम पर कोई personal बाते नही...|
मधु : मुझे पता है madam, next time आपको शिकायत का मौका नही मिलेगा |
आस्था ; Good, चलिए कुछ काम कर लिया जाये...|”
मधु : जी madam...?
मधु आस्था के साथ चल दी | तभी आस्था पर सांरग हावी हो गया |
सारंग : तुम्हें सच में वो छोटी बच्ची नही दिखती ना...?
मधु थोड़ा सवाल ना समझ पाने की वजह से आस्था को देखने लगी |
सारंग : एक दम देवता की मूर्ति जैसी है, फिर भी उसकी आँखों में आंसू ला देती है, पत्थर की पत्थर ही हो, पहले भी ऐसी और जा भी ऐसी |
मधु : वो देवता है, यही बात उसे जाकर समझाओ, इंसान बनने का भूत चढ़ा है सर पर...|
सारंग : तो इंसान बनने में परेशानी क्या है, इंसान भी अच्छे होते है |
मधु : अपना ज्ञान अपने पास रखो...|
मधु थोड़ा गुस्से में आगे बढ़ गयी |
आस्था : ये खुद देवता है तो हम इंसानों को कम मानती है क्या...?
सारंग : पता नही, इन स्त्रियों के दिमाग में क्या चलता रहता है...?
अब आस्था और सारंग में बहस चालू थी |
दूसरी तरफ किसी तरह अपने घावों को कपड़ों में छिपा लड़खाने के काबू में करती कंचना, हाथ में सामना का थैला लिया, एक कालोनी में चली जा रही थी | इधर-2 खड़े लड़के देखते हुए बेशर्मी के साथ gossip कर रहे थे | कंचना अपने खून की प्यास को किसी तरह काबू में रखती हुई किसी तरह बस अपने घर पहुंचना चाह रही थी | तभी एक लडके ने उसका रास्ता रोक लिया |
लड़का : क्या बात है जानेमन, आज ये चाल कैसे बदली हुई है तुम्हारी...|
कंचना को सामने खड़े लडके में खाली खून के अलावा कुछ दिखायी या सुनाई नही दे रहा था | उसके दांत और जीभ बाहर आने को मचल रही थी | मगर फिर भी दूसरा ही आवेश उसके दिमाग में इस तरह हावी थी, वो side में होकर जाने लगी | तभी दूसरा लड़का उसके समाने आकर खड़ा हो गया |
दूसरा लड़का : कभी हमने भी तो सेवा का मौका दो ना, क्या मारी-2 फिरती हो |
कंचना : मुझे जाने दो please...|
कंचना 99.99% अपने छूटते सयम को रोकती हुई बोली |
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लड़का : हमें कौन सा तुम्हें रोककर शादी करनी है, बस थोड़ी सी देर...|
तभी एक औरत वहाँ से गुजरी |
औरत : क्या हो रहा है यहाँ...?
सारे लडके वहां से रफूचक्कर हो गये |
औरत : माँ भी दूसरे मर्दों पर डोरे डालती थी, बेटी भी ऐसी ही है...|
कंचना औरत की बात पर ध्यान ना देते हुए अपने घर की तरफ चल दी | घर के बार कूड़ा फैला हुआ, झड़ियाँ बढ़ी हुई, गेट पर जंग लगा हुआ था | अपनी सांसो को काबू से बाहर होने से रोकती हुई कंचना ने पुराना सा दरवाजा खटखाया | अगले ही पल दरवाजा खुल गया, मानों दरवाजा खटखटाने का wait हो रहा हो | कंचना ने कांपती आँखों के साथ नीचे देखा तो wheelchair पर एक 12 साल की लड़की, जिसके चेहरे की रंगत शायद भूख की वजह से मिट गयी थी, मगर वो फिर भी कंचना को देख मुस्कुरा रही थी |
लड़की : दीदी, आप कैसी है...?
कंचना ने लकड़ी को सही-सलामत देख उसके चेहरे पर हाथ फिराया और उसे अंदर ले गयी |
कंचना : तुम्हें खाना खाया...?
कंचना लड़की को छोटे से hall में लाकर सीधे kitchen की तरफ चली गयी |
लड़की : कल सुबह आप ही तो खिलाकर गयी थी |
सुनते ही कंचना लड़की को देखने लगी, जो 2 दिन से भूखी उसका wait कर रही थी |
कंचना : कोई बात नही, मैं बस अभी तेरे लिया खाना बनाती हूँ...|
खुद को फिर से strong कर कंचना जल्दी से खाना बनाने लगी |
लड़की : दीदी, आप दो दिन कौन से adventure पर गयी थी, कौन से खतरनाक दुश्मन से अपने लड़ाई की ?
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लड़की को कंचना के लड़ाई के किस्से सुनने का बहुत ज्यादा शौक था |
कंचना : इस बार मैं काले फरिश्तों से लड़ी |
लड़की : No...!!!
लड़की के चेहरे पर इतनी हैरानी थी, कि मानों वो मानने को तैयार ही नही थी |
कंचना : सच में, वो भी तीन फरिश्तों से, मैंने अपने director को बचाया |
लड़की : आस्था शर्मा को, सच में...|
कंचना : तुझे झूठ लग रहा है क्या, जब मेरी और उस फरिश्ते की लड़ाई हो रही थी, तो पूरा department आँखे फाडे देख रहा था...?
लड़की : और आपकी director...?
कंचना : उन्हें तो होश ही नही था |
कंचना कुछ देर के लिए अपनी प्यार और अपने निकाले जाने को भूल गयी |
लड़की : दीदी फिर तो आपकी director ने आपको promotion दिया होगा, आपको team का leader बना दिया होगा...?
लड़की की बात सुनकर कंचना के हाथ रुक गये | उसके पूरी रात चाँदी के पिंजरें की यातना और सुबह सबके बीच बेइज्जत करके निकाला जाना याद आ गया |
लड़की : बताइये ना दीदी, आपको promotion मिला क्या..?
कंचना : हाँ, मुझे बढ़कर salary मिलेगी, साथ ही 6 महीने बाद मेरी अपनी अलग team भी होगी...|
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लड़की : सच दीदी...?
कचना : बिलकुल सच...|
कंचना ने लड़की के लिया खाना बनाकर table पर रख दिया |
कंचना : उसके बाद मुझे daily वहाँ पर जाना नही पड़ेगा और ढेर सारे पैसे होते ही हम तेरा इलाज करायेगे...|
कंचना लड़की के wheelchair को खीचकर table के पास कर देती है | लड़की खाने की खुशबु लेने लगी |
कंचना : तू खाना खा, तब तक मैं change करके आती हूँ, मुझे काफी छोटे लगी है |
लड़की ने हाँ में सर हिला दिया | कंचना लड़की के सर पर हाथ फिरा अपने room की तरफ चली गयी |
कंचना ने अंदर जाते ही दरवाजे को बंद कर उसमें लगे 9 locks को लगा लिया और last वाले की चाबी आँखे बंद कर दूर फेंक दी | कंचना की नजर दरवाजे पर गयी, जिस पर नाखुनो के खुरचे जाने के हजारों निशान थे | अब कंचना की जरूरत उसके काबू से बाहर हो रही थी | अपने बालों को नौचती कंचना ने अपनी ही बाजू को दातों से काट लिया, मगर उसे खून नही निकला | उसने दूसरी बाजु को भी काटा, मगर वहाँ भी कुछ नही था | किसी drugs से भी बुरी लत की तरह अब कंचना option ढूंढने लगी | मगर सिवाए उसकी बहन और बाहर टहल रहे आम इंसानों के कोई दूसरा option उसके पास नही था | कंचना ने खिड़की की तरफ कदम बढाये, मगर अपनी असलियत खुलने के बाद, बहन का क्या होगा, ये सोच उसके कदम पीछे हट गये | दूसरा option उसकी बहन खुद थी, जिसके बीच उसने 1 दरवाजा और 9 lock लगा दिए थे | फिर भी ये सब कंचना की प्यास को मिटा नही सकते थे | कंचना की नजर ना चाहते हुए भी उस चाबी को खोजने लगी | तभी एक खून से भरा प्याला दरवाजे के नीचे से होता हुआ उसके पैरो के पास आकर रुक गया | सामने प्याले में खून को देख कंचना ने उसे लपक तो लिया मगर अगले ही पल के विचार ने उसकी रूह को कंपा दिया |
कंचना : ज्योति...!!!
चिल्लाती हुई कंचना प्याला side फेंक चाबी को ढूंढने लगी | मगर उसे चाबी नही पायी |
कंचना : ज्योति...!!!
चाबी पा नही रही थी, कंचना ने चिल्लाते हुए एक मुक्के में दरवाजा ही तोड़ दिया | मगर सामने का नजारा उसकी सोच के बिलकुल उल्टा था | आस्था और मधु ज्योति के साथ table पर बैठे थे और तीनों कंचना को हैरानी के साथ देख रहे थे |
ज्योति : दीदी...?
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कंचना : Hello maim...|
कंचना अब normal खड़े होने की कोशिश कर रही थी, अब उसकी बची-कुची ताकत दरवाजे को तोड़ने में खर्च हो गयी थी | कंचना घुटनों पर आ गयी थी और उसके खून की प्यास उसे सब कुछ भूल जाने पर मजबूत कर रही थी | आस्था खुद उठकर उसके पास चली गयी |
आस्था : जितना मैंने सोचा था, ये उतनी भी powerful नही है...|
अपनी तरफ बढ़ रहे हाथ के लात मारती आस्था ने मधु से बोला |
ज्योति : आप झूठ बोल रही है, मेरी दीदी सबसे strong है, उन्होंने आपकी जान भी बचायी है, वो अभी कमजोर है, उन्हें खून चाहिए...|
जैसे ही ज्योति अपनी wheelchair के साथ kitchen की तरफ चाकू के लिए बढ़ी, मधु ने अपनी बैग से एक खून की थैली निकाल कंचना की तरफ फेंक दी | कंचना की हालत इनती बुरी थी, वो शायद 3 ही घूंट में पूरी थैली को पी गयी | उसका मुहं पूरी तरफ खून से लाल हो गया था |
आस्था : इतने खून से इसका कुछ नही होगा, इसने बहुत बड़ी जंग लड़ी है |
मधु ने बैग से एक और थैली निकाल कंचना की तरफ कर दी | कंचना उसे भी तीन घुट में पी गयी और मधु को देखने लगी |
आस्था : अब ये मौके का फायदा उठा रही है...|
आस्था ने मधु से बोला |
ज्योति : Please दीदी को खून दे दीजिये, उन्होंने पिछले 1 महीने से खून नही खरीदकर नही पिया है, सारे पैसे मेरी ही दवाईयों पर खर्च कर देती है |
ज्योति रोती हुई कंचना को देख रही थी, जिसका हाथ और खून के लिए फैला हुआ था | आस्था एक इशारे के साथ मधु ने 1 थैली फिर से कंचना की तरफ फेंक दी | मगर कंचना के पास पहुंचने से पहले ही आस्था ने उसे पकड़ लिया | कंचना उठकर आस्था पर झपटने लगी, मगर आस्था ने उसका गला पकड़ लिया और कंचना सिवाए छटपटाने के कुछ नही कर पायी |
आस्था : हम तुम्हें यहाँ जानवर बनाने नही आये है, जितनी जरूरत है, उतनी ही चीजे लेनी चाहिए, समझी...|
कंचना कुछ नही बोली |
आस्था : ये last है तुम्हारे लिए, अब देख लो तुम्हें इसे कैसे पीना है...?
आस्था ने थैली कंचना के हाथ पर रख दी | कंचना के अंदर ताकत और सयम बन गया था, उसने सभ्य तरीके से उस थैली को खाली किया और आँखे बंद कर फर्श पर लेती गयी |
मधु : अब ये क्या हुआ...?
ज्योति : उनकी body अब खुदको recover करेगी...|
आस्था : और ये recovery कितनी देर में होगी |
ज्योति : 1 घंटे से लेकर 10 घटे के बीच...|
आस्था और मधु ज्योति को देखने लगी, जिसकी आँखों में सच्चाई थी |
Morning में नींद में ही खिडकियों पर बैठी छोटी-2 चिड़ियों के चहचहाहट सुनते हुए कंचना एक नर्म मुलायम बिस्तर पर करवटें ले रही थी | तभी कल रात के कुछ पुराने विचारों ने उस पर हमला किया | उससे अपने शस्त्रकुल से निकाला जाना, उसका घर आना और ज्योति के साथ उसकी बात, सभी सपने में दिख रही थी | अगले ही पल सपने में अपने सामने आस्था और मधु को खड़ा देख झटके से कंचना की आँखे खुल गयी | वो झटके से बिस्तर पर बैठी तो हैरान रह गयी | वो अपने normal बिस्तर पर नही थी, उसका कमरा तो वही था, मगर उसका रंग-रूप वैसा नही था | अगले ही पल कंचना की नजर अपने कपड़ो गयी, वो भी उसके नही थी | सब कुछ बदला देखने के साथ ही बाहर से हंसने की आवाजो को सुन कंचना को ज्योति का ख्याल आया तो झटके से अपने बिस्तर से उठकर बाहर की तरफ से लगभग दौड़ गयी थी | कंचना बाहर आयी तो एक बार फिर से हैरान थी | उसका तो पूरा घर ही बदल दिया गया था, दीवारों पर color, kitchen, खाने की table, सोफा, TV, सब कुछ बदला हुआ था, मानों कचना किसी दूसरे के घर में खड़ी हो | कंचना ने अपने बाल ठीक कर समाने देखा तो, ज्योति के साथ आस्था, मधु और पीछे ध्रुव के साथ कुछ discuss करती जानवी खड़ी थी | तभी ज्योति की नजर कंचना पर पड़ी |
ज्योति : दीदी, आप उठ गयी...?
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ज्योति खुशी के साथ कंचना की तरफ अपनी wheelchair को खींचने लगी |
मधु : Finally इसकी नींद टूट गयी...|
मधु ने चैन की साँस ली | अब तक जानवी और ध्रुव भी कंचना को देखने लगे थे, जो ज्योति को पकड़ ये check कर रही थी, उसे कुछ हुआ तो नही |
कंचना : तू ठीक है...?
ज्योति : मैं तो ठीक हूँ, पर आप कुछ ज्यादा ही ठीक लग रही है...|
कंचना : क्या बोल रही हो...?
ज्योति : आपने आईना देखा...?
कंचना को उठते ही सबसे पहले ज्योति का ख्याल आया था, उसने कुछ देखा ही नही था | कंचना कुछ ना समझ पाने की वजह से एक नजर मधु, चाय पी रही आस्था और बाकी दोनों पर नजर मारने के बाद वापिस bathroom की तरफ बढ़ गयी | कंचना ने जाकर आईने में देखा तो उसकी आँखे फटी रह गयी |
कंचना : ये क्या है...?
कंचना की खाल थोड़ी गुलाबी, उसकी आँखे गहरी काली, उसकी body कुछ ज्यादा ही सुडौल और उसके बाल ज्यादा ही रेशमी हो गये थे | कंचना समझ नही पा रही थी तभी उसे रात मधु के उसे दिए खून की याद आ गयी |
कंचना : इन्होने मेरे साथ क्या किया है...?
ज्योति : दीदी...!!!!
कंचना अपने आवेशों के साथ बाहर की तरफ बढ़ गयी |
कंचना : अपने मेरे साथ क्या किया है...?
कंचना का सीधा सवाल आस्था से था, जो अभी भी शांति से बैठी थी |
मधु : कंचना मेरी बात सुनो...|
कंचना : मुझे कुछ नही सुनना, मुझे बेइज्जत करके निकल दिया गया था ना, फिर आपको कोई हक नही बनता मेरी life में दखल देने का, आप होती कौन है ?
अब आस्था उठ चुकी ती, जिसकी वजह से सबके साथ कंचना भी डर गयी थी, क्योंकि उसे पता था, आस्था एक साथ रहता कौन है | आस्था आने कपड़े ठीक कर कंचना के सामने खड़ी हो गयी |
आस्था : मैं आस्था...!!!!
आस्था ने दो ही words में कंचना की बोलती बंद कर दी |
To be continue…
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Best hindi horror story 2020, आस्था (A mystery) भाग-50
Reviewed by Mr.Singh
on
September 26, 2020
Rating:

Excellent story as always and eagerly waiting to read the next update
ReplyDelete🧐🙏🏼🧐🧐🙏🏼🧐
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Always 💜💜💜💜💜💜💜💜U Boss
Amazing story aapki koi story bore nai karti always having craze fr next
ReplyDeleteVery nice story
ReplyDeleteWow its my fvrt story plz thoda jldi jldi likha kre
ReplyDeleteSir story to sab superb hai but As thank parts bhut late likhte hai aap
ReplyDeleteSuper story
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