आस्था (A mystery)
Part-51
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खाली
कंचना ही इस time डरी हुई थी, उसकी बहन का भी यही हाल था |
आस्था
: तुम्हारी boss...|
कंचना
: आप मेरी boss नही है, मुझे बेइज्जत करके निकाला गया है, वो भी उस आरोप में,
जो...|
आस्था
: सच है...|कंचना
थोड़ा हैरानी में आस्था को देखने लगी, मानों उसे आस्था का character समझ में नही आ
रहा था | आस्था कंचना के सामने खड़ी थी और उसे ही गद्दार बोल रही थी |
आस्था
: तुम्हारी माँ को मैं तबसे जानता हूँ, जब तू पैदा भी नही हुई थी, उसके सनकीपन का
तुम सबसे बड़ा example हो |
आस्था
एक अदंर से अब सांरग बोल रहा था, जिसकी लाल आँखे कंचना को घूर रही थी |
कंचना
: आप बिना किसी सबूत के मेरी मम्मी पर इल्जाम लगा रही है |
कंचना
अभी भी अपनी मम्मी का बचाव कर रही थी |
आस्था
: मैं इल्जाम नही लगा रही, सच बोल रही हूँ, तुम्हारी माँ...|
कंचना
: अगर आपने मेरी मम्मी के खिलाफ एक words भी बोला तो...|
कंचना
के हाथ की हड्डी बोलने लगी | आस्था का हाथ गुस्से में उठने लगा |
मधु
: पिछले 10 दिन से तुम बिना किसी information के अपनी duty से missing हो,
तुम्हारी सफाई क्या है...?
कंचना
: 10 दिन, मैं कल ही तो घर आयी थी...?
कंचना
सुनकर हैरान रह गयी |
ज्योति
: हाँ दीदी, आप पिछले 10 दिन से सो रही है...|
कंचना
को सुनकर विश्वास नही हो रहा था, अब तक कभी उसके साथ ऐसा नही हुआ था | सोचती हुई
कंचना का हाथ अपने body पर गया तो अचानक ही उसे आईने में देखी अपनी body याद आ गयी
|
कंचना
: क्या किया है आपने मेरे साथ...?
कंचना
आस्था पर तनने लगी |
मधु
: अपनी limit में रहो, तुम director के सामने खड़ी हो |
कंचना
: पहले कभी ऐसा नही हुआ, मैं 10 दिन तक कैसे सो सकती हूँ, आपने कुछ तो किया है
मेरे साथ...|
किसी
की तरफ से कोई जवाब नही आया | कंचना ने अपनी help के लिए ज्योति को देखा, जिसे भी
शायद कुछ पता नही था |
मधु
: तुम्हें एक mission पर जाना है, जल्दी से जल्दी...|
कंचना
: कैसा mission...?”
जानवी
: हमारी team A, गायब है, जिसके लिए शक है, वो घाटी में रहने वाले शैतानों के हाथ
kidneep हुई है |
कंचना
: उसका पता लगाने तो पिशाच team गयी थी ना...?
हर
कोई कंचना को देखने लगा, क्योंकि ये detail वहाँ मौजूद सभी के अलावा Manda को पता
थी |
मधु
: तुम्हें कैसे पता, पिचाश team उनकी खोज में गयी थी |
अब
कंचना की सांसे रुक गयी थी |
जानवी
: मैं पहले ही बोल रही थी, इस पर भरोसा करने का मतलब खुद पैर कुल्हाड़ी पर मारने
जैसा है |
आस्था
: ये बात तुम्हे कैसे पता चली...?
अब
आस्था ने कंचना की गर्दन पकड़ उसे ऊपर उठा लिया था | कंचना की body से धुआं निकलने
लगा तो ज्योति डर गयी, मगर मधु ने उसे शांत रहने का इशारा किया |
कंचना
: जाने से पहले पिशाच team से मैं मिली थी, तभी उनके जाते time वो जिक्र कर रहे थे
तो मैंने सुन लिया था |
आस्था
ने कंचना को side में फेंक दिया और मधु की तरफ घूम गयी |
मधु
: यही है, जो उनके बीच से उस team को निकाल सकती है |
मधु
ने आस्था के बोलने से पहले ही जवाब दे दिया |
आस्था
: ये भरोसे के काबिल नही है...|
आस्था
ने फिर भी अपना सवाल किया | मधु अब सोचते हुए उठती कंचना को देखने लगी |
मधु
: तो इसे मजबूर करते है, भरोसा बनाये रखने के लिए |
मधु
ने दूसरी चाल चली |
कंचना
: आप मुझसे कोई भी काम जबरजस्ती नही करा सकते, मैं अब आपकी employee नही हूँ...|
मधु
: करा सकते है, legal और जबरजस्ती, दोनों तरीकों से...|
मधु
की नजर ज्योति पर गयी |
कंचना
: अगर मेरी बहन के बारे में सोचा भी तो...|
आस्था
: तो क्या...?
कंचना
: हर चीज का तोड़ होता है...|
कंचना
आस्था को घूरने लगी |
आस्था
: मेरा नही है...|
कहते
हुए आस्था ने ज्योति को सर से पकड़ ऊपर उठा लिया |
कंचना
: मेरी बहन को छोड़ दो...|
कंचना
जैसे ही आस्था पर झपटी, मधु की कमर से मोटी किरण निकली, जिसने कंचना को खुद में
बाँध हवा में उठा लिया | ज्योति दर्द से छटपटाने लगी |
कंचना
: मैं कहा, मेरी बहन को छोड़ दो...|
कंचना
मधु की किरण को तोड़ने के लिए ताकत लगाने लगी, जिससे मधु के माथे पर बल पड़ने लगे |
आस्था
: तुम काम करोगी या नही...?
आस्था
ने ज्योति पर कोई ध्यान नही दिया |
कंचना
: किसी भी कीमत पर नही...|
कंचना
चिल्लाती हुई मधु की किरण को तोड़ने की कोशिश में लग गयी | अगले ही पल कंचना की
आँखों में खून उतर आया, ज्योति को पकड़ी आस्था की हथेली से रौशनी निकलकर ज्योति के
सर में जाने लगी थी, जिससे ज्योति किसी करंट की तरह झटके लेने लगी थी | कंचना की
बाजु, उसके अंदर का खून उबलने लगा | अगले ही पल मधु के माथे पर लकीरे बढ़ने लगी थी,
तभी मधु की कमर से दूसरी किरण निकलकर कंचना को बांध लेती है | ज्योति के अंदर
रौशनी तेजी से जा रही थी, जिससे उसका फडफडाना तेज होता जा रहा था |
ध्रुव
: तुम्हें नही लगता, इसको overdose दे दिया गया है...?
ध्रुव
ने जानवी को देखते हुए पूछा |
जानवी
: इनको निकला सकते हो...?
जानवी
ने अपने कंगन सामने कर दिए | ध्रुव वापिस समाने का तमाशा देखने लगा | अगले ही एक
झटके के साथ कंचना ने मधु की दोनों किरणों को खोल दिया | मधु की बाकी दो किरणें
जैसे ही कंचना को पकड़ने आगे बढ़ी, कंचना एक मुक्के के साथ आस्था पर लपक गयी | मगर
आस्था तक पहुंचने से पहले ही उसने खुदको रोक लिया, क्योंकि फडफडाने में ज्योति के
पैर भी हिलने लगे थे |
कंचना
: ज्योति...!!!
कंचना
ने अपने मुहं पर हाथ रख लिया | अगले कुछ पलों में ज्योति की पूरी body करंट से हिल
रही थी | 1 मिनट बाद ही आस्था ने ज्योति को नीचे छोड़ दिया | ज्योति लम्बे-2 सांसो
के साथ अपने कांपते पैरों पर खड़ी थी |
मधु
: इसकी power सही से काम कर रही है |
मधु
आस्था एक पास आकर खड़ी हो गयी | कंचना ने ज्योति को पकड़ लिया था, जो पसीना-2 होकर
आधी खुली आँखों के साथ कंचना को देख रही थी |
कंचना
: तू ठीक हो गयी...?
ज्योति
ने अपने पैरों की तरफ देखा, जो सच में अपने पैरों पर खड़ी थी |
आस्था
: ये ठीक नही हुई है...|
अगले
ही पल आस्था ने एक चुटकी बजायी और ज्योति लडखडा गयी | कंचना ने ज्योति को सभला
लिया, ज्योति फिर से खुद सभलकर खड़ी हो गयी | कंचना मधु और आस्था को देखने लगी |
मधु
: इसकी तीनों main नाड़ियों को ऊर्जा से active किया गया है, जिससे रीड की हड्डी के
support के बिना भी ये अपने पैरों पर चल सकती है |
आस्था
: क्या इससे आगे भी तुम्हें समझाना पड़ेगा, deal क्या है...?
कंचना
: अपनी बहन के लिए मैं किसी भी मौत के कुए में जा सकती हूँ, बताइये मुझे क्या करना
है...|
आस्था
: तुम्हारी मम्मी ने तुम्हें किस लिए बनाया है...?
कंचना
आस्था को देखने लगी, जो बस जवाब सुनना चाहती थी |
मधु
ने जानवी की तरफ देखा, जिसने कोई reaction नही दिया |
मधु
: M1...!!!
जानवी
अभी भी शांत खड़ी थी | आस्था, ध्रुव, ज्योति और कंचना भी जानवी को देखने लगी |
मधु
: मैं कुछ बोल रही हूँ...|
जानवी
: मुझे सुनाई नही दे रहा...|
गुस्से
में मधु की कमर से किरणें निकलने लगी, मगर उसने अपने गुस्से को शांत कर लिया |
जानवी
: मुझे निकाल दीजिये, मुझे ये job नही करनी..|
जानवी
उन कड़ो से मुक्त होने का जुगाड़ सोच रही थी |
मधु
: सही बोल रही हो, तुम्हारे यहाँ रहने का ये बहाना भी खत्म होगा, फिर तुम्हारे dad
तुम्हें बिना किसी तर्क के ले जा सकते है |
सुनते
ही जानवी की आंखे सदमें में बाहर आ गयी, वो जिससे छुटकारा चाहती थी, वो तो उसके और
ज्यादा गले पड़ रही थी |
जानवी
: मेरा वो मतलब नही था |
अलगे
ही पल जानवी ने अपनी हथेली दीवार की तरफ झटकी, दीवार पर चित्र उभरने लगे |
मधु
: पर मैं वही समझी हूँ, ध्रुव office पहुंचते ही M1 का reliving latter ready
करो...|”
जानवी
: मुझे कही नही जाना...|
जानवी
की आवाज कड़क थी |
आस्था
: यहाँ ध्यान दे लिया जाये....?
अब
आस्था कड़क आवाज में बोली थी | मधु और जानवी एक-दूसरे को घूरते हुए सामने दीवार पर
देखने लगी | सामने दीवार पर अँधेरे से घिरी एक जगह, जहाँ पर कितने ही अंगारे जैसी
चमकती आँखों वाले शैतान तंत्र-मंत्र में लगे हुए थे | आग, खून, लोगो का चिल्लाना,
लावा, और एक जगह जाकर सबकी नजर ठहर गयी | चारों तरफ उबलते लावे के बीच एक लोहे के
पिंजरें में ढेर सारे लोगो के साथ जानवी की team भी कैद थी |
मधु
: ये video पिशाच team के बचे-कुचे member लेकर आये है |
कंचना
: क्या मतलब बचे-कुचे...?
कंचना
ने कड़क आवाज में बोला |
आस्था
: कुछ मारे गये, कुछ वहाँ के अंधेरों में खो गये और बाकी सब अपनी जान बचाकर भाग
आये |
कंचना
: कितने बचे है...?
कंचना
ने हल्के से दर्द और कुछ अनुमान के साथ सवाल किया |
आस्था
: जितने भी बचे है, तुम्हारे काम के नही है...|
कंचना
आस्था को घूरने लगी |
मधु
: वो इस हालत में नही है, वहाँ दूसरी बार जा सके |
कंचना
: तो क्या आप चाहती है, मैं पूरी शैतान से अकेली लड़कर इन सबको छुड़ाकर लाऊ...?
कंचना
के बोलने का लहजा साफ बता रहा था, ये सरासर पागलपन था, जो उससे होने वाला नही था |
जानवी
: ये तो अकेले इंद्र भी नही कर सकते |
जानवी
ने मजाक लिया |
आस्था
: नही, शैतान जो भी करते है, वो अमावस्या की रात को करते है, तो इन्हें बचाने के
लिए तुम्हारे पास...?
आस्था
दिन भूल गयी थी, इसलिए उसने ध्रुव को देखा |
ध्रुव
: 13 दिन है...|
आस्था
: अपनी एक team चुनो और उन्हें छुड़ाकर लाओ...|
कंचना
: आप मुझे जानबुझकर मौत के मुहं में भेज रहे है, ये पागलपन है...|
आस्था
: ये deal है...|
आस्था
का हाथ फिर से ज्योति की तरफ उठ गया था |
कंचना
: पूरे शस्त्रकुल में कोई ऐसा योद्धा नही है, जो घाटी में अपनी शक्ति के दम में लड़
सके, वहाँ...|
मधु
: मैं एक बात mention करना भूल गयी, तुम्हें शस्त्रकुल से कोई योद्धाओ नही मिलेगा
|
ज्योति
: क्या...?
कंचना
की जगह ज्योति ने गुस्से में मधु को देखा | अब हर कोई ज्योति को देख रहा था |
ज्योति
: मेरी दीदी कहीं नही जाएगी, आप जानबुझकर मेरी दीदी को बलि का बकरा बना रहे है,
नही खड़ा होना मुझे अपने पैरों पर, वापिस ले लीजिये अपनी शक्ति को |
मधु,
आस्था, जानवी, ध्रुव ज्योति की बात सुन कंचना को देखने लगे, जो आँखे छोटी कर कुछ
सोच रही थी |
कंचना
: क्या मैं किसी को भी चुन सकती हूँ...?
कंचना
ने गर्दन थोड़ा side में कर सवाल किया |
मधु
: हाँ, अगर तुम उसे मना सकी |
कंचना
: उनकी कीमत....?
आस्था
: क्या चाहिए...?
कंचना
: बहुत कुछ |
ज्योति
: दीदी आप ये काम मत कीजिये, मुझे अपने पैरों पर खड़ा नही होना, ये आपको मरवा
देंगे...|
ज्योति
की आँखे गीली हो गयी थी |
कंचना
: अभी मैं कौन सा जिंदा हूँ, दूसरे के खून पर जिंदा रहने वाली मशीन ही तो हूँ,
मरने से पहले तेरे कुछ काम आ जाऊँगी तो शायद दिल का बोझ कुछ हल्का हो जाये...|
कंचना
ने ज्योति के आंसू पोंछ दिए |
मधु
: तुम्हारे पास time कम है तो अभी से काम पर लग जाओ..|
कंचना
: मेरा आखिरी सवाल, अगर मैं वापिस ना आयी तो मेरी बहन का क्या होगा..?
मधु
: इसे doctor बना देंगे...|
कंचना
मधु को देखने लगी |
आस्था
: फिर ये भी अपनी माँ की तरह सनकीपन में कुछ निराला ही कर देगी |
आस्था
ने फिर कंचना को ताना मारा |
कंचना
: आपकी problem क्या है, आप होती कौन है मेरी mom के लिए कुछ बोलने वाली |
आस्था
: मैं आस्था...!!!
To be continue…
I hope you all like this story. So reader, Please comments and share this story with you friends and family and add your valuable thoughts to….!!!
Best hindi horror story 2020, आस्था (A mystery) भाग-51
Reviewed by Mr.Singh
on
October 07, 2020
Rating:

Excellent story as always and eagerly waiting to read the next update
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