Behind the story of भोली खुशी part-342
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Love story, Behind the story of भोली खुशी part-342 |
दूसरी तरफ उमंग आज kitchen में नौकरों को परेशान कर रही थी | तभी उसकी मम्मी वहाँ पर आ गयी |
“क्या कर रही है...?” मम्मी ने उसके हाथ में चाकू देखकर डांटा |
“मैं सलाद काट रही हूँ सौरव के लिए...|” उमंग पूरे उत्साह के साथ “भाभी बता रही थी, उसे सलाद बहुत पसंद है |”
“चाकू नीचे रख और जाकर सबके साथ बैठे...|” मम्मी उसके सर पर मारते हुए “और ये उल्टी-सीधी बातों पर ध्यान मत दे...|”
“नही, मैं काटूँगी, अगर आपने ने मुझे परेशान किया तो मैं दादी से बोल दूंगी...|” उमंग नही मानी |
“आयी बड़ी दादी की चमची...|” मम्मी फिर से उसके सर पर मारने के साथ नौकरों से “देखना, ये हाथ ना कटवा ले...|”
नौकरों ने सर हाँ में हिला दिया |
खाने के table पर सौरव मुहं फुलाए बैठा था और अपने बड़े पेट के साथ टीना, उसके पास बैठा प्रेम, प्रेम के पापा, उसकी दादी, सब उसे मनाने में लगे हुए थे |
“देख सौरव बहुत हो गया...|” टीना थोड़ा कड़क आवाज में “चुपचाप खाना खा ले, वरना मैं चाची को call कर दूंगी...|”
“कर दो, मैं नही खाऊंगा...|” सौरव नही माना |
टीना अपना सर पकड़कर बैठ गयी |
“क्या अपने मम्मी-पापा की बात का इतना बुरा मानते है बेटा...?” दादी सौरव से “उन्होंने तुम्हारी भलाई के लिए ही तो तुम्हें यहाँ भेजा है |”
सौरव मुहं बनाये हुए दूसरी तरफ देखने लगा |
“क्या तुम life में विराट जैसा नही बनना चाहते...?” प्रेम के पापा प्यार से “उसके कंधे से कंधा मिलाकर business नही सभालना चाहते...?”
“आपको क्या लगता है, मैं नही करता...?” सौरव प्रेम की पापा को देखते हुए “हर time अपने project में लगा रहता हूँ, अपने दोस्तों के साथ party पर भी नही जाता, उसके बाद भी project से उठाकर मुझे यहाँ भेज दिया |” सौरव ने फिर से मुहं घुमा लिया |
पापा के साथ-2 बाकी सब भी अब प्रेम को देखने लगे |
“हर काम मेरे ऊपर ही क्यों छोड़ दिया जाता है...|” प्रेम एक पल आँखे बंद करने के साथ सौरव से “तुम अपनी जगह सही हो सौरव...|”
प्रेम के बोलने से सब हैरान थे, प्रेम सौरव को मनाने की जगह उसके गुस्से में उसका साथ दे रहा था |
“जब मैं तुम्हारी age का था, तब एक बार dad से कार के लिए ज़िद कर बैठा था...|” प्रेम ने मुस्कुराते अपने पापा को देखा |
प्रेम के पापा भी उस बात को याद कर मुस्कुराने लगे |
“मैंने 2 दिन तक खाना नही खाया था...|” प्रेम ने आँखे बड़ी करते हुए बोला |
“सच में...?” सौरव हैरान था |
उसके साथ टीना भी थोड़ी हैरान थी, क्योंकि उसे लगता है, प्रेम जैसा सुलझा आदमी ऐसी नादानी कैसे कर सकता है |
“और क्या...?” दादी मुस्कुराते हुए “सब ने मनाने की ढेर सारी कोशिश की, मगर नही माना |”
“फिर...?” सौरव ने जोश में पूछा |
“Dad office चले जाते थे, दादी और मम्मी मुझे पूरा दिन मनाती रहती...|” प्रेम उस घटना को याद करते हुए “पर मैं नही माना |”
“फिर uncle ने हारकर आपको car दे दी होगी...?” सौरव ने एक ही झटके में कहानी को end कर दिया |
“हाँ दे दी, but मैंने पहले खाना खा लिया था...|” प्रेम ने एक पल सोचने के बाद बोला |
“क्यों...?”सौरव की समझ में नही आया |
“मेरी mom ने भी दो दिन से खाना नही खाया था...|” प्रेम ने सौरव की आँखों में देखा |
अगले ही पल सौरव की आँखों में भी नंदनी की तश्वीर घुमने लगी थी, क्योंकि वो भी सौरव के लिए ज्यादा ही फ़िक्र करती है |
“उनकी तबियत खराब हो गयी थी और वो फिर भी मुझे मनाने पर लगी हुई थी...|” प्रेम ने अपनी बात को end कर दिया |
“सौरव, देखो मैंने तुम्हारे लिए अपने हाथो से सलाद बनायी है...|” तभी उमंग वहाँ पर tray लेकर खड़ी थी |
“Room में मेरा खाना लेकर आओ...|” सौरव उसके हाथ से tray लेकर अपने room की तरफ चल दिया |
“हाँ...|” उमंग बिना किसी सवाल, बिना किसी की परवाह की सौरव का खाना plate में डालने लगी |
हर कोई बोहें ऊपर कर उसे देख रहा था, मगर उमंग ने किसी पर ध्यान नही दिया | उसने खाना लिया और उछलती हुई सौरव के room की तरफ चली गयी |
“ये पागल हो गयी है क्या...?” दादी ने पूछा |
“लगता तो कुछ ऐसा ही है...|” पापा ने बोला |
“तुमने सच में दो दिन तक खाना नही खाया था...?” टीना ने सबका ध्यान प्रेम पर खींचा |
“नही, राज ने ये सब किया था...|” प्रेम normal भावों के साथ अपनी plate में खाना डालते हुए “दादी की तबियत खराब हो गयी थी, तो उसने खाना खा लिया था...|”
टीना बाकी सबको देखने लगी, जो हल्के-2 मुस्कुरा रहे थे |
“तुम सच में मुझे पागल कर दोगे...|” टीना भी अपना सर पकड़े मुस्कुराने लगी |
Delhi में भूख की वजह से राहुल को नींद तो आ नही रही थी, तभी उसके कानो में अगल-बगल के भिखारियों के आवाजे पड़ी | राहुल ने गर्दन उठाकर देखा तो road के दोनों तरफ के भिखारी उठकर बैठ गये थे | राहुल को थोड़ा अजीब लगा, वो भी उठकर बैठता हुआ उसी side देखने लगा, जिस side सभी लोग देख रहे थे | एक आदमी, एक छोटे बच्चे के साथ साईकिल पर तीन से चार बड़े-2 थैले लटकाए हुए खाली road के बीच में खड़ा था और थैलों से कुछ packets निकला बाँट रहा था | राहुल ने दूर बैठे भिखारियों को पैकेट खोलते हुए देखा, उन पैकेटो में खाना था | राहुल का पेट फिर से शोर मचाने लगा | उसके पैर खुद ही उसकी तरफ उठने लगे, मगर उसने सभ्य होने के साथ अपनी बारी आने का wait करना सही समझा | करीब 9 मिनट बाद उसका number आया | राहुल ने देखा, एक बुढा सरदार जी, सर पर पगड़ी, दाढ़ी में सफेद बाल, उम्र 65 से ऊपर, कृपाण लटकाए हुए हाथ के कड़े को ठीक करते हुए एक पैकेट राहुल की तरफ बढ़ा देता है |
“Thanks man...|” बूढ़े के बोलने से पहले ही आगे हाथ बढ़ाते हुए राहुल के मुहं से निकल गया |
सुनते ही बूढ़े का हाथ रुक गया और राहुल बूढ़े को ना देख packet को देखने लगा | दूसरे ही पल राहुल ने बूढ़े को देखा तो बूढ़े अपनी कमजोर आँखों के साथ राहुल को देख रहा था |
“Oh, आप इसके लिए money लेते है...|” राहुल अपना हाथ पीछे करते हुए “मेरे पास नही है, thanks again...|” राहुल हल्की सी मुस्कान के साथ वापिस लेटने लगा |
बुढा वापिस सीधा हुआ और थैले से एक और packet निकाल लडके को आगे बटने का इशारा किया | लड़का आगे बढ़ गया |
“थोड़ी जगह देना...|” बुढा राहुल के पास ही बैठने लगा |
राहुल ना समझ पाने के साथ वापिस बैठते हुए बूढ़े को सहारा दे बैठा लेता है | बुढा एक packet राहुल को दे देता है |
“मेरा पास money नही है...|” राहुल ने फिर बोला |
“महीने पर दे देना...|” बुढा अपना packet खोलते हुए “ये सब भी ऐसे ही देते है...|”
राहुल सोचने लगा, उसे ये तो पता नही इस जगह पर जिंदा कैसे रहना है, वो क्या पैसे देगा |
“वायेगुरू का नाम ले, ले लो...|” बुढा packet राहुल के हाथ में रखते हुए “अभी तो तुम्हारा महीना बहुत दूर है |”
“Thanks...|” राहुल बूढ़े को देख packet ले लेता है |
बूढ़े राहुल को देखने लगा, जो बड़ी बेताबी के साथ packet को खोल रहा था | राहुल को भूख इनती लगी थी, उसके सामने क्या खाना था, उसे ये भी परवाह नही थी | राहुल ने हाथ से , मगर पूरी सभ्यता के साथ पहला निवाला मुहं में डाल लिया | Life में शायद ही उसे कभी खाना इतना testy लगा हो |
“ये बहुत testy है...|” राहुल ने एक संतुष्टि के साथ बोला |
बूढ़े ने बाकी सबकी तरफ देखा, तो बाकी सब मन मारकर खा रहे थे |
“वायेगुरू, तेरा पाणी मीठा लागे...|” बुढा अपने हाथ जोड़ ऊपर की तरफ देखने लगा |
“What...?” राहुल ने बूढ़े से पूछा |
“कुछ नही...|” बूढ़े ने राहुल को एक packet खत्म करते देख दूसरा भी उसकी तरफ कर दिया |
राहुल ने उसे झट से लपकने की कोशिश की, मगर बाकी सबको एक ही packet मिला था, तो उसने भी उसे नही लिया |
“ले लो, तुम money extra दे देना...|” बूढ़े ने बोला |
राहुल ने झट से दूसरा packet भी ले लिया |
“कहाँ से हो...?” बूढ़े ने राहुल से पूछा |
“हरियाणा से...|” राहुल खाने पर ध्यान देते हुए बोला |
“हरियाणा में कहाँ से...?” बूढ़े ने आगे सवाल किया |
“Border से...|” राहुल मुहं में खाना चलाते हुए “इसलिए मेरे language में हरियाणा का touch नही है |”
“यहाँ कैसे...?” बूढ़े ने आगे सवाल किया |
“घरवालों से लड़ाई हो गयी, so छोड़ आया...|” राहुल ने आगे बोला |
अब तक छोटा लड़का बैग खाली कर वापिस आ चुका था |
“यहाँ से 1 km. की दूरी पर गुरुद्वारा है, तुम सुबह के time वही आ जाना...|” बुढा उठते हुए “मैं तुम्हें वही मिलूँगा...|”
राहुल ने कुछ नही बोला |
“और हाँ...|” छोटे लडके के साथ चलता बुढा राहुल से “India में money को पैसे और रूपये बोलते है |”
राहुल सोचने लगा | उसे भी ये पता था, मगर उसने हमेशा USA में रहकर always dollars ही सुने थे | राहुल ने सर हिला दिया और बुढा मुस्कुराता हुआ चला गया | राहुल खाना खत्म कर paper को दूर रखे dustbeen में डालकर वापिस अपनी जगह आकर बैठता हुआ सोचने लगा |
छोटे लडके के साथ बूढ़े ने road को cross किया ही था |
“जरा सुनिए...|” तभी पीछे से राहुल के security guard की आवाज आयी |
बुढा और लड़का पलटे तो guard हाथ बांधे खड़ा था |
“हाँ जी...?” बुढा बोला |
अगले ही पल guard की अगली जेब में रख mobile से रौशनी निकली और तुषार, बिल्लों सामने खड़े थे | बुढा गौर से उन दोनों को देख रहा था |
“अगर मेरी यार्दाश्त ठीक है तो, तुम वही हो ना, जिसने इस लड़की का दुपट्टा खीचने वाले लड़के और उसके साथियों को दौड़ा-दौड़कर पिटा था ?” बूढ़े तुषार की तरफ इशारा करते हुए “और पूरा चांदनी चौक खून से रंग दिया था |”
“और आपने इसको दुपट्टा दिया था...|” तुषार हाँ में सर हिलाते हुए बोला |
“आज भी वो किस्सा पूसे चांदनी चौक में मशहूर है...|” बुढा मुस्कुराते हुए बोला |
“दारजी, ये तुषार ठाकुर है...|” छोटा लड़का हैरानी में “दुनियाँ के 20 number के richest man...|”
“अच्छा, तू इनता अमीर हो गया...?” बूढ़े ने थोड़ी हैरानी जतायी |
“आज भी आपसे छोटा ही हूँ...|” तुषार ने बूढ़े के सामने हाथ जोड़ते हुए “आपसी अमीरी कभी आयी ही नही मुझमे...|” तुषार की आँखे गीली हो गयी थी |
अगले ही पल बिल्लों ने रोते हुए बूढ़े के पैर पकड़ लिए |
“दुनियाँ की इतनी अमीर औरत एक मामूली से बूढ़े के पैरों में पड़ी है, मतलब मैंने तुम्हें कुछ ऐसा दिया है, जो तुम्हारे बस से बाहर है |” बुढा सही निष्कर्ष पर पहुंचते हुए “वो लड़का तुम्हारा बेटा है...|”
बिल्लों अभी भी रोती हुई बूढ़े के पैर पकड़े हुए थी |
“पूरी बात बताओ मुझे...|” बूढ़े ने कड़क आवाज में बोला |
तुषार बूढ़े को देखता रहा |
To be continue…
I hope you all like this story Love story, Behind the story of भोली खुशी part-342 . So reader, Please comments and
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to….!!!

You are awesome....
ReplyDeleteKaise likh lete ho yr itna achchha....
Itne chhote se part me bhi itni feeling hoti hai ki aankho me aansu aa jaate h kbhi kbhi
You are awesome....
ReplyDeleteKaise likh lete ho yr itna achchha....
Itne chhote se part me bhi itni feeling hoti hai ki aankho me aansu aa jaate h kbhi kbhi
Excellent story as always and eagerly waiting to read the next update
ReplyDelete🧐🙏🏼🧐🧐🙏🏼🧐
🧐🙏🏼🧐🧐🙏🏼🧐
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Always 💜💜💜💜💜💜💜💜U Boss
Aapki samjh ki daad deti hu mr.singh...itna gyan Kahan se late h ...... wakkayi aap sa koi nhi likhta hoga ....Tushar ,Billo aur daarji ki baate ......ufff koi tod nhi ...salute h aapko 🙏🙏👌👌👌
ReplyDeleteAapki samjh ki daad deti hu mr.singh...itna gyan Kahan se late h ...... wakkayi aap sa koi nhi likhta hoga ....Tushar ,Billo aur daarji ki baate ......ufff koi tod nhi ...salute h aapko 🙏🙏👌👌👌
ReplyDeleteGreat part
ReplyDeleteVery nice iswar sabki help karte hain fir rahul to dil se kitna sachha hai
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteVery nice story
ReplyDeleteAwesome & heart touching love story with amazing & surprising moves. Pls publish next part as soon sir.
ReplyDeleteAwesome bro mere pass Shabd nahin hai aap ki tarikh ke liye bus dua karta hun aap aise hi likhate Rahane
ReplyDeleteNice sorry mne iss bar late pda pr mne to socha ki aaj 2part pdne ko milege pr it's okk ❣️❣️
ReplyDeleteHeart touching
ReplyDeleteSo intresting
ReplyDeleteIs part ne to yaar,aankhon me aansoon hi la diye,,ek ma baap ka apne bachhe ke liye kya feeling hoti hai , bachho ki takleef se unhe kitni taklif hoti hai ,ye sab aankhon ke samne jaise dikh rha ho...
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