आस्था (A mystery)
Part-52
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अब आस्था और कंचना में आँखों की जंग चल रही थी |
मधु : Madam, हमने ढेर सारे काम करने है अभी...|
आस्था अभी भी कंचना को देखे जा रही थी |
मधु : कंचना, तुम शायद भूल रही हो, तुम किसके सामने खड़ी हो और उसने अभी-2 तुम्हारे लिए क्या किया है...?
कंचना : मैं कुछ नही भूल रही, मगर madam मुझसे कुछ ज्यादा ही expect कर रही है |
जानवी : शायद तुम उसी लायक हो...|
कंचना जानवी को देखने लगी, जिस पर कोई फर्क नही पड़ने वाला था |
मधु : तुम्हें एक team ready करनी है, उसे traning, detail, जो भी सामान provide कराना है, सबके लिए 13 दिन है तुम्हारे पास |
कंचना अभी भी सोच में थी |
आस्था : ये समझ गयी, आप जाकर अपना काम करो...|
कहते हुए आस्था दूसरे room की तरफ चल दी |
कंचना : आप कहाँ जा रही है...?
कंचना ने आस्था से सवाल किया |
आस्था : अपने room में...|
आस्था ने दूसरे room की side इशारा किया |
ज्योति : आस्था madam, पिछले 10 दिन से हमारे साथ रह रही है |
ज्योति ने कंचना के doughts को clear कर दिया |
कंचना : मुझे मंजूर नही है...|
मधु, जानवी, ध्रुव चलते-2 रुक गये |
मधु : क्या मंजूर नही है...?
कंचना : Madam का मेरे घर पर रहना, मैं इनके साथ adjust नही कर सकती |
मधु : क्या adjust नही कर सकती...?
कंचना : Madam मेरे घर पर रहे |
ज्योति : Madam तो पिछले 10 दिन से हमारे साथ ही रह रही है...|
कंचना : क्या...?
ज्योति : हाँ, हम रोज market जाते है, कालोनी वाले बदमाश लडकों को line पर लाते है और चुगली करने वाली aunties की चुगली भी करते है |
कंचना समझ नही पा रही थी, उसके साथ क्या-2 होने वाला था | मधु, जानवी, ध्रुव वहां से निकल गये |
आस्था : ज्योति बोल रही थी, तुम दुनियाँ का सबसे best खाना बनाती हो, तो आज का खाना तुम बनाओगी...|
आस्था कंचना को घूरती हुई अपने room की तरफ बढ़ गयी |
कंचना : मैं कोई खाना बनाने वाली नही हूँ, और आप होती कौन है मेरे घर में मुझ पर हुक्म चलाने वाली |
अगले ही पल आस्था की आँखे लाल हो गयी | आस्था ने अपनी हथेली उठायी और कंचना अकड़ती हुई हवा में उठ गयी | ज्योति कुछ बोलने लगी मगर कंचना ने उसे बोलने से रोक दिया |
सारंग : हुक्म चलाने के लिए ताकत होनी चाहिये और मेरे अंदर वो ताकत है |
कंचना : कमजोरो पर ताकत अजमाने वाला ताकतवर नही होता |
सारंग : तुम कमजोर नही, एक बीमारी हो, जिसे तुम्हारी माँ ने अपने सनकीपन में बनाया है, तो तुम ये सपने में भी मत सोचना, मैं तुम पर भरोसा करूंगा |
कंचना : तो फिर ये काम क्यों दे रहे हो...?
सारंग : क्योंकि इंसानी दुनियाँ देवासुर संग्राम देखने के लिए तैयार नही है, वरना मुझे 1 मिनट लगेगा उन सबको वहाँ से सबको छुडवाने में...|
कंचना आगे कुछ बोलना चाहती थी |
सारंग : इसलिए जब तक तुम मेरे हाथो मारी नही जाती, चुपचाप काम करती रहो...|
कंचना : मैं अपनी बहन के लिए ये सब कर रही हूँ...|
सारंग : तो अगली बार मुझसे बहस करने से पहले सोच लेना, मैं तुम्हारी बहन की गर्दन भी तोड़ सकता हूँ और तुम कुछ नही कर पाओगी...|
कंचना आस्था को मारने के लिए मचलने लगी, मगर आस्था का हाथ ज्योति की तरफ उठता देख वो शांत हो गयी |
सारंग : इसलिए चुपचाप जाकर खाना बनाओ...|
सारंग कंचना को kitchen की तरफ पटक देता है, आस्था normal हो गयी |
आस्था : मेरी तुमसे कोई persnal दुश्मनी नही है, ना ही मुझे इसमें interest है तुम्हारी मम्मी ने तुम्हें क्यों बनाया, but मुझे बंदी उस सभी इंसानों और पिशाचों की चिंता है, please कंचना, तुम्हें जो भी करना है, थोड़ा जल्दी करो...|
कंचना के साथ ज्योति भी आस्था के इस रूप को देख रही थी | अगले ही पल सारंग आस्था की body से अलग हो गया, जिसे देख ज्योति कुछ ज्यादा ही हैरान थी | रूद्र हवा में गायब होने लगा |
आस्था : तुम कहाँ जा रहे हो...?
सारंग : मुझे कुछ काम है...|
आस्था : तुम इसके पास मुझे अकेला छोड़कर जा रहे हो...?
आस्था कंचना को देखकर घबरा रही थी |
दूसरी तरफ एक घर में कुंजल गीली आँखों के साथ समने बैठे छोटे लडके (जिसने लड़ाई में आस्था के सीने में तलवार घुसायी थी) को खाना खिलाने की कोशिश कर रही थी |
लड़का : मुझे दीदी के साथ खाना है |
कुंजल : दीदी अभी किसी काम से बाहर गयी है |
लड़का : नही, आप झूठ बोल रही है, इतने दिन हो गये, उन्होंने के बार भी मुझे call नही किया |
कुंजल : तुझे तो पता है, उसके college में कितना काम रहता है, उसे call करने की भी फुर्सत नही मिलती |
लड़का : मुझे नही खाना, आप झूठी हो...|
कुंजल : चुपचाप खा ले, वरना मार लगा दूंगी...|
तभी परेशान रूद्र room में entry लेता है | लड़का दौडकर उसके पैरो से लिपट गया |
रूद्र : क्या हुआ...?
लड़का : पापा, मम्मी दीदी से मेरी बात नही करा रही |
लडके की बात सुन रूद्र अब कुंजल को देखने लगा, जिसकी आँखों से अभी भी आंसू टपक रहे थे |
रूद्र : तुम्हारी मम्मी ने बोला ना, वो अपने college के tour पर गयी है, वहाँ busy होगी |
लड़का : आप भैया के लिए भी यही बोलते हो, उन्हें भी मुझसे बात किये बहुत time हो गया, मैं भी उनसे बात नही करूंगा...|
रूद्र : जब वो आयेगे, तब उनसे बोल देना, अब खाना खा लो...|
लड़का : मैं खुद खा लूँगा...|
कहते हुए लडके ने कुंजल के हाथ से plate ली और बाहर चला गया | कुंजल लडके के बाहर निकलते ही सर पकड़कर रोने लगी | रूद्र के अदंर भी इतनी हिम्मत नही बची थी, वो जाकर कुंजल को हिम्मत दे सकते | जवान बेटे की मौत, जवान बेटी दुश्मन की कैद में थी, जिसने रूद्र के घुटने टिका दिए थे |
कुंजल : सब तुम्हारे लालच का नतीजा है, अगर तुम अपनी ये शक्ति की भूख को ना बढ़ाते तो...|
रूद्र : मैं पहले ही परेशान हूँ, मुझे और ज्यादा परेशान मत करो...|
कुंजल : मेरी बातों को ना सुनकर तुम उस समस्या से नही छुट सकते, जो पहाड़ बनकर तुम्हारे सामने खड़ी है |
परेशान रूद्र के पास कोई जवाब नही था |
कुंजल : अगर दैत्य समाज में किसी को ज्ञात हो गया, हमारी बेटी किसी की कैद है तो, राजा तो दूर, कोई साधारण सा दैत्य भी उसे पास नही बैठायेगा...|
रूद्र : तुम्हें बोला ना, शांत रहो, मैं कोई तरीका निकला लूँगा...|
कुंजल : तुम्हारे इन तरीकों की वजह से मैं अपने बेटे को खो चुकी हूँ, अब मेरी बेटी...|
अब बर्दाश्त ना होने की वजह से रूद्र का हाथ कुंजल पर उठ गया था, मगर कुंजल तक पहुंचा नही था |
कुंजल : 1 माह का समय देती हूँ तुम्हें, अगर मेरी बेटी सही कुशलतापूर्वक घर वापिस नही आयी तो...|
अगले ही पल कुंजल के हाथ से आग निकलने लगी थी | रूद्र चाहते हुए भी कुछ नही बोल पा रहा था |
दूसरी तरफ शाम हो चुकी थी और आस्था ज्योति के साथ घर के बाहर बैठी थी, जहाँ गेट पर normal dress मगर सनकी guards खड़े उन दोनों की security में खड़े थे | ज्योति उसे अपने school की photos और अपने friends के बारे में knoledge दे रही थी | तभी औरतों का चुगली गैग उस तरफ से गुजरा |
पहली औरत : कैसी है शर्मा जी...?
आस्था : अरे, कैसी है Mrs. पांडे, परसों के बाद आप मिली ही नही...|
दूसरी औरत : Mrs. पांडे को तो Mrs. पांडे से ही फुर्सत नही मिलती, ये मिलेगी किसे...?
बाकी सभी औरते हंसने लगी |
पहली औरत : आप भी Mrs. भंडारी, कैसी बातें करती है...?
आस्था : आइये बैठिये ना...?
दूसरी औरत : आ तो जाये, मगर...|
दूसरी औरत के साथ बाकी सभी उन guards को देखने लगी |
ज्योति : वो किसी को कुछ नही बोलते, आप आ जाओ, दीदी पकोड़े बना रही है...|
तीसरी औरत : अच्छा, कंचना पकोड़े बना रही है...?
जैसे ही तीसरी औरत अंदर कदम रखने लगी, पहले guard ने उसे घूरा | सभी औरते अपना एक कदम पीछे खींच लेती है |
पहली औरत : कोई बात नही, हम यही ठीक है...|
आस्था : मगर आप वहाँ कैसे...?
आस्था ने फिर से उन्हें अंदर आने के लिए बोला | मगर उन guards की वजह से कोई अंदर नही आया |
आस्था : आज महौल्ले के क्या हाल है...?
दूसरी औरत : सब ठीक है, बस...|
औरत इनता ही बोल आयी थी, तभी एक गाड़ी धूल उड़ाती हुई उनके पास से निकल गयी |
पहली औरत : बस इन नये road hero ने नाक में दम कर रखा है |
तीसरी औरत : जब देखो शोर-शराबा, लडकियों को छेड़ना, कालोनी में बदमाशी करना, बस यही चल रहा है...|
थोड़ी ही देर में फिर से गाड़ी की आवाज आने लगी |
दूसरी औरत : लो, फिर से आ गये, कल तो माथुर जी की नयी गाड़ी पर dent मार दिया |
आस्था ने इस बार ध्यान से जाते लडकों को देखा, जिसमें से एक लड़का आस्था को घूरता चला गया | मगर आस्था ने भी उसको घूरना नही छोड़ा | कुछ दूर आगे जाकर गाड़ी रुक गयी |
पहली औरत : अब यहाँ भी लड़ाई करेगे...|
सारे लड़के नीचे उतर चुके थे |
दूसरी औरत : झगड़े से पहले ही यहाँ से निकलना ठीक है...|
दूसरी औरत के बोलने से पहले ही बाकी सारी औरते वहाँ से निकल गयी थी | हाथ में बियर की बोतले लिए लड़के दरवाजे के आमने आकर खड़े हो गये | दोनों security guards अपनी ही सनक के साथ उन्हें देख रहे थे |
पहला लड़का : कोई problem है madam...?
आस्था : हाँ, तुम्हारी गाड़ी से धूल ज्यादा उड़ती है, अगली बार इसे कालोनी में मत लाना |
दूसरा लड़का : क्यों ना आप आप अपना घर ही कालोनी से बाहर कर ले...?
पहला लड़का : ये अच्छा idea है...|
सारे लडके हंसने लगे | अब तक थाली में पकोड़ो के साथ जली-भूनी कंचना भी बाहर आ चुकी थी, उसने पकोड़े उन दोनों के सामने लाकर पटक दिए |
तीसरा लड़का : अरे, ये तो अपनी darling है...|
लडके ने कंचना को पहचान लिया था | (ये वही लडके थे, जो कंचना को अक्सर परेशान करते थे)
पहला लड़का : पता नही था, हमारा ईद का चाँद यहाँ रहता है |
अनजान खतरे से अनजान सारे लड़के, बिना किसी डर के गेट से अंदर entry ले गये | जिसके साथ ही दोनों security guards गेट को block करने के साथ हाथों में कटार लिए खड़े हो गये थे | कंचना भी लडकों को ना देखते हुए पीछे मारने के लिए ready दोनों guards को देख रही थी |
दूसरा लड़का : Darling, पहचाना या नही...?
कंचना : तुम मेरा favirout blood हो...|
कंचना ने अपनी जीभ को दांतों पर घुमाया |
पहला लड़का : और तुम मेरी रानी..|
दूसरा लड़का : अबे यहाँ देख, अपनी रानी ने पकोड़े बनाये है...|
कहते हुए जैसे ही दूसरे लडके ने जैसे ही अपना हाथ पकोड़ो की तरफ बढ़ाया, हवा की तरह कटार चली और कटे हुए हाथ को देख चिल्लाता हुआ दूसरा लड़का पीछे की तरफ गिर गया | हर कोई हैरान लडके के हाथ के कटने से नही, हाथ से खून की जलने जैसा धुआ उठने से था |
ज्योति : ये क्या है...?
अब सारे लडके दूसरे लडके को चिल्लाता देख आस्था को देखने लगे, जो उन पकड़ो पर ये check कर रही थी, कही कोई धूल या लडके के हाथ की राख तो नही लग गयी | अगले ही पल डरे हुए सारे लडकों के हाथो में तलवारे प्रकट हो गयी |
पहला लड़का : कौन हो तुम...?
आस्था : मैं, आस्था....!!!
To be continue…
I
hope you all like this story. So reader, Please comments and share this
story with you friends and family and add your valuable thoughts
to….!!!
Best hindi horror story 2020, आस्था (A mystery) भाग-52
Reviewed by Mr.Singh
on
October 29, 2020
Rating:

Plz write next part soon
ReplyDeleteExcellent story as always and eagerly waiting to read the next update
ReplyDelete🧐🙏🏼🧐🧐🙏🏼🧐
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Always 💜💜💜💜💜💜💜💜U Boss
Great story
ReplyDeleteNice Story
ReplyDeleteNext part kab aayega