Behind the story of भोली खुशी part-340
Hello dears,
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चावड़ी बाजार की दम घोटने वाली भीड़ के बीच राहुल किसी खोये हुए छोटे बच्चे की तरह खड़ा था |
“अबे अँधा है क्या, road के बीच में खड़ा है...?” तभी एक ठेले वाले ने राहुल को झाड़ते हुए present में लाकर खड़ा कर दिया |
राहुल ठेले को देख पीछे हटने लगा, तो पीछे से जा रहे आदमी ने उसे धक्का दे दिया | राहुल समझ नही पा रहा था, वो क्या करे...? उसकी आँखे सच में एक छोटे से बच्चे के रोने जैसी हो रही थी, जो अपनी मम्मी को याद कर रहा था | New York में सोई बिल्लों झटके से अपने बेड पर बैठ गयी |
“क्या हुआ..?” तुषार light जलाते हुए उसके साथ बैठ गया |
“कुछ नही...?” बिल्लों हाथ उसके सीने पर था और चेहरे पर बैचेनी थी |
“राहुल की याद आ रही है...?” तुषार ने पहली ही बार सही मर्ज पकड़ लिया |
“वो ठीक तो है ना...?” बिल्लों तुषार का हाथ पकड़ बैचेनी के साथ “मुझे घबराहट हो रही है...|”
“पता है इससे पहले तुम्हें, ऐसी घबराहट कब हुई थी...?” तुषार ने उसे शांत करने की कोशिश की |
बिल्लों ने कोई जवाब नही दिया |
“जब विराट first time school गया था...|” तुषार बिल्लों का चेहरा हाथ में लेते हुए “कुछ नही होगा उसे, वो ठीक है...|”
“मुझे उसे देखने ना है, मेरा दिल बहुत बैचेन हो रहा है...|” बिल्लों की बैचेनी कम नही हो रही थी |
तुषार ने हाँ में सर हिलाते हुए mobile उठाया और एक call लगा दी | चावडी की भीड़ के बीच एक mobile बजा, जिस पर किसी ने ध्यान नही दिया, सिवाय जिसका वो mobile था | पुराना सा कुर्ता, सर पर गमछा बंधा हुआ, मगर हट्टा-कट्टा आदमी राहुल से 50 मीटर की दूरी पर खड़ा, राहुल को देखते हुए call pick कर लेता है |
“Sir...!!!” एक कड़क camando की तरह आदमी की आवाज आयी |
“कहाँ है वो...?” तुषार ने बिल्लों को देखते हुए सवाल किया |
“मुझसे 50 मीटर की दूरी पर है sir...|” आदमी ने नजर अभी भी confuse खड़े राहुल पर थी |
“उसकी security पूरी है ना...?” तुषार की आवाज कड़क थी |
“50 मीटर की घेरे में कोई उन पर नजर भी नही मार सकता sir...|” आदमी ने फिर से कड़क आवाज में बोला |
“मुझे राहुल को देखना है...|” बिल्लों ने फिर तुषार से बोला |
“Mobile का function on करो...|” तुषार ने अपने mobile में कुछ setting करते हुए बोला |
“जी sir...|” कहते हुए आदमी ने mobile में एक जगह पर touch किया |
अगले ही पल तुषार और बिल्लों, बदली शक्ल के साथ आदमी के सामने खड़े थे |
“Sir...|” आदमी ने एक सैनिक की तरह तुषार को सैलूट किया |
“कहां है वो...?” तुषार ने पूछा |
आदमी ने तुषार और बिल्लों के पीछे की तरफ इशारा किया | बिल्लों झट से घूम गयी तो सच में राहुल किसी मासूम बच्चे की तरह खड़ा था | उसे देखते हुए बिल्लों का हाथ फिर से अपने सीने पर चला गया |
“वो डरा हुआ है...|” बिल्लों काँपने लगी |
“ठीक है वो...|” तुषार भी राहुल को देखकर थोड़ा बैचेन हो गया, मगर इस time अगर वो कमजोर पड़ जाता तो बिल्लों को कैसे सभालता |
“रहने देते है ना...|” एक माँ की ममता के आगे बिल्लों अपने ही फैसले को बदलने को बोल रही थी |
तुषार शांत नजरों से बिल्लों को देखने लगा |
“राहुल को भी टीना के पास भेज देते है, वहाँ company के काम सीख लेगा...|” बिल्लों पर इस time ममता पूरी तरह हावी थी, उसे जो सूझ रहा था, वो बोलती जा रही थी |
“मगर real life के सबक नही सीख पायेगा...|” तुषार राहुल को देख बिल्लों के कंधे पर हाथ रखते हुए “और तुमने ही तो कहा था, पूरी life इसे विराट के भरोसे नही रखना है...|”
अब बिल्लों धर्म संकट में फंस गयी थी, एक तरफ उसकी ममता, दूसरी तरफ अपने बेटे का future |
“अगर हम दोनों के थोड़े से दर्द सहने से इसकी life बनती है तो....|” खुदको द्रड कर तुषार, बिल्लों को समझाते हुए चुप हो गया |
“इसका एक बाल भी बांका भी होना चाहिए..|” बिल्लों ने अपनी मुट्टी बंद करते हुए खुदको मजबूत बना लिया |
“कितने guards है...?” तुषार ने पीछे खड़े आदमी से बोला |
“Total 18 लोग है sir...|” आदमी हाथ ऊपर उठाता है |
अगले ही पल भीड़भाड़ वाली सड़क से कितने ही हाथ ऊपर उठ गये, जिनमें पान वाला, सड़क पर सामना बैचेन वाला, पक्की shop के सामने shop लगाने वाला, ठेला खींचने वाले और आम public में घूमते आदमी भी थे |
“हमारे पास 3 sniper भी है sir...|” आदमी ने road के start से लेकर road के end की तरफ इशारा करते हुए हथेली सामने की, जिसमे पर निशाने के 3 लाल बिंदु दिखने लगे थे |
तुषार ने अब बिल्लों को देखा, जो राहुल के पास जाने के लिए मचल रही थी |
“बिल्लों...|” तुषार ने धीरे से बोला |
बिल्लों बेबसी के साथ तुषार को देखने लगी |
“उसकी भलाई के लिए...|” तुषार ने बिल्लों की आँखों में देखा |
बिल्लों अगले ही पल गायब हो गयी | तुषार अब उस आदमी को देखने लगा था |
“राहुल जितना चाहे गिरे, रोये चिल्लाये...|” तुषार ऊँगली से आदमी को warn करते हुए “उसकी कोई help नही करनी, but उस पर अगर कोई ऐसा खतरा आये, जो normal ना हो तो...|”
“चाहे Delhi को रोकना हो sir, उनका बाल भी बांका नही होगा...|” आदमी ने गर्दन हिलाते हुए बोला |
“मुझे daily की progress report चाहिए इसकी...|” कहते हुए तुषार गायब हो गया |
आदमी ने अपनी पिछली जेब में रखे mobile पर हाथ लगा पीछे देखा तो उससे 10 मीटर पीछे विराट और आइसक्रीम खाती खुशी (बदले रूप में) खड़े पूरा तमाशा देख रहे थे | राहुल को परेशान देख विराट भी बैचेन हो रहा था |
“क्या हुआ, भाई को परेशान देख दुःख हो रहा है...?” खुशी ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए मजाक लिया |
“नही तो...|” विराट नजरें चुराते हुए “इसके साथ जो हो रहा है, ठीक ही हो रहा है...|” विराट का चेहरा और words match नही हो रहे थे |
“तो फिर मुझे यहाँ लेकर क्यों आये...?” खुशी ने मुहं में आइसक्रीम की चम्मच रखते हुए सवाल किया |
“बस confirm करना चाहता था, राहुल safe है कि नही...?” विराट की आवाज नर्म पड़ रही थी |
“वैसे राहुल को इनती घटियाँ जगह भेजा जायेगा, मुझे idea नही था...|” खुशी भीड़ को देखते हुए “वैसे Delhi में इतने सालों रहने के बाद भी मुझे इस जगह का पता नही चला |”
विराट खुशी को घूरते हुए गायब हो गया |
“मैंने क्या गलत बोल दिया...?” खुशी थोड़ा हैरानी में गायब हो गयी |
विराट room में बेड पर बैठा बगल में पूरा आइसक्रीम का कप रखे T-shirt और निक्कर में बैठी खुशी को घूर रहा था |
“What...?” खुशी हाथ उठाती हुई “मैंने क्या गलत बोल दिया |”
“उसकी छोडो, ये क्या पागलपन है...?” विराट रात के 3 बजे देखते हुए “इस time आइसक्रीम कौन खाता है...?”
“मैं खाती हूँ...|” खुशी ने एक पल सोचने के बाद बोलते हुए “अच्छा, पता है, बच्पन ना मैं...|”
“मुझे नही सुनना, good night..|” कहते हुए विराट दूसरी करवट लेट गया |
“तो मुझे कौन सा तुम्हें बताने में interest है...?” खुशी ने उल्टा जवाब दिया |
अगले ही पल खुशी ने विराट की कमर से ठंडा cup लगा दिया | विराट फिर गुस्से में उठकर खुशी को देखने लगा |
“What...?” खुशी ने ऐसा react किया, मानों उसने कुछ किया ही ना हो |
“तुम मेरे गुस्से को बिना बात के हवा मत दिया करो...|” विराट ने खुशी को warn किया |
“वरना क्या कर लोगे...?” खुशी ने cup को side में रख विराट को उल्टा घूरा |
“मैं बोल रहा हूँ...|” बात विराट के बर्दाश्त से बाहर हो रही थी |
“क्या...?” अगले ही पल खुशी ने अपनी T-shirt उतार दी |
“तुम...|” और विराट डोल गया |
“मैं क्या...?” इस बार खुशी bra का हुक खोल दिया था |
“आइसक्रीम थोड़ी कम ठंडी खाती हो...|” कहते हुए विराट खुशी पर झपट गया था |
दूसरी तरफ राहुल एक बहुत ही बड़ी shop के सामने खड़ा था, जिसमें मानों पूरी road के बराबर coustmers थे, शायद ही पैर रखने की जगह होगी उस shop में | राहुल ने shop के board को देखा, जिस पर बड़े-2 words में लिखा था, शर्मा and sons | राहुल ने एक कपड़े की shop में कदम कुछ इस तरह रखा था, जैसे सुनीता ने उसके birthday giftss लेने के लिए mall में first time रखा था | किसी सब्जीमंडी के जैसा शोरशराबा, सैकड़ो कस्टमर्स और उनको handle करने के लिए उतने ही salesman, जो customar की demand पर साड़ी, लहंगे, दुपट्टे, पहनकर दिखा रहे थे | राहुल का तो देखकर सर ही चकरा गया था, क्या ऐसी भी दुनियाँ होती है...? राहुल customars की भीड़ से बचता अब shop के मालिक को खोजने की कोशिश कर रहा था |
“Excuse me...?” राहुल ने धीमी आवाज में एक salesman से पूछा |
राहुल की आवाज इनती धीमी थी, उसे खुदको ही सुनायी नही दी |
“जरा सुनिए...|” राहुल ने थोडा तेज आवाज में पूछा |
“हाँ जी, बोलिए भाईसाहब...?” साड़ी की तह करते हुए लडके के कड़क आवाज में पूछा |
“ये शर्मा जी कहाँ मिलेगे...?” लडके की तेज आवाज की वजह से राहुल ने अपने कान में ऊँगली डाल हिलाते हुए सवाल किया |
“कौन शर्मा जी...?” लडके ने फिर तेज आवाज में बोला |
“Owner of this shop...?” राहुल ने लडके की आखों में देखा |
“क्या...?” लडके की तो समझ में ही नही आया |
“इस shop के मालिक कहाँ पर है...?” राहुल को अब गुस्सा आ रहा था |
“वो रहे...?” लड़के ने shop के बाहर वाले gate से पहले ही बने counter पर बैठे एक मोटे से आदमी की तरफ इशारा किया |
“Thanks....|” राहुल लडके को देखते हुए आगे बढ़ गया |
“नौकरी के लिए आये हो...?” लड़के ने राहुल की body पर मामूली सा paint-shirt देख सवाल किया |
राहुल बिना कोई जवाब दे आगे बढ़ गया |
“अगर नौकरी चाहिए तो सीधे पैर में पड़ जाना...|” लड़के ने idea दिया |
राहुल लडके को देखता हुआ counter की तरफ बढ़ गया | Counter पर आदमी बैठा हुआ हिसाब कर रहे लडकों को डांट रहा था | राहुल के अंदर किसी से बात करने डर, या किसी के चिल्लाने से problem नही थी, वो अपनी सोच से भी नीचे की जगह पर खड़ा था, जिसकी वजह से वो adjust नही कर पा रहा था, इसी वजह से उसके पैर शर्मा की तरह नही पड़ रहे थे | फिर भी राहुल हिम्मत करते हुए counter पर जाकर खड़ा हो गया |
“हाँ जी, क्या लिया है आपने...?” मोटे से आदमी ने राहुल पर ज्यादा ध्यान नही दिया |
“Hello, मेरा नाम राहुल ठा...|” अपना पूरा नाम लेने से पहले ही राहुल को अपने यहाँ आने की वजह याद आ गयी |
“अच्छा नाम है राहुल ठा...|” आगे बैठा लड़का मजाक करते हुए “क्या सामान लिया है आपने...?”
“मैंने कोई सामान नही लिया है, मुझे job चाहिए...|” राहुल ने बोला |
“क्या...?” दूसरा लड़का ध्यान से सुन नही पाया |
“मुझे नौकरी चाहिए...|” राहुल ने ऊँची आवाज में बोला |
“भंडारा नही चल रहा है यहाँ...|” पीछे बैठा आदमी कड़क आवाज में “कोई नौकरी नही है, बाहर...|”
“मेरी बात सुनिए, मैं...|” राहुल बोलने लगा |
अगले ही पल आदमी का हाथ हिला और बाहर खड़े guard ने राहुल को पकड़कर shop के बाहर कर दिया | राहुल को तो समझ में ही नही आया, हुआ क्या | वो फिर से उस भीड़ में अकेला और डरा हुआ खड़ा था |
To be continue…
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Love story, Behind the story of भोली खुशी part-340
Reviewed by Mr.Singh
on
October 02, 2020
Rating:

Nice part... superb story ....
ReplyDelete👌👌👌
ReplyDeleteyar please hath jod rha bde part dalo
ReplyDeleteExcellent story as always and eagerly waiting to read the next update
ReplyDelete🧐🙏🏼🧐🧐🙏🏼🧐
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Always 💜💜💜💜💜💜💜💜U Boss
Bechara rahul
ReplyDeleteGood story
ReplyDeleteAbhi to sirf rahul ki halat dikhayi h baaki cousins ka kya ho rha hoga??
ReplyDeleteGood story they needs a letion
ReplyDeletenice story
ReplyDeletePlease next part jldi se upload kare
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