Behind the story of भोली खुशी part-344
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Love story, Behind the story of भोली खुशी part-344 |
“I think तुम अपना मुहं खुद भी खोल सकते हो...|” खुशी ने हल्की सी मुस्कना के साथ बोला |
खुशी को उन्हीं नजरों से घूरते हुए विराट ने निवाला अपने मुहं में रख लिया था | अगले ही पल खुशी दूसरी side देखने लगी | विराट ने गुस्से के साथ दूसरा निवाला ले खुशी की तरफ देखा तो उसका गुस्सा हैरानी में बदल गया | खुशी side में देखती हुई अपने आंसू पौछ रही थी | विराट एक पल आँखे बंद कर गुस्से को side में रख देता है |
“क्या हुआ...?” विराट ने खुशी से प्यार से पूछा |
खुशी ने कोई जवाब नही दिया | विराट खाना side में रख खुशी के पास बैठ गया | खुशी अभी भी दूसरी side देखती हुई अपने आंसू पौछ रही थी |
“खुशी, बताओ ना क्या हुआ...?” विराट ने खुशी को अपनी बगल से लगा लिया |
खुशी अभी भी सुबक रही थी |
“मैंने पूरे दिन से खाना नही खाया, क्या इसलिए...?” विराट ने खुशी का चेहरा अपनी तरफ घुमाया |
“मुझे लगा, तुम्हें मेरी बात का बुरा लग गया, जिस वजह से तुमने...|” खुशी ने विराट के सीने पर अपना चेहरा छिपा लिया |
“I sorry, मेरी वजह से तुम्हें भूखा रहना पड़ा..|” विराट खुशी का सर चूमते हुए “I’m not a good husband...|”
“नही...|” खुशी अपनी मासूमियत के साथ “मैं अच्छी wife नही हूँ...|”
इस बात पर विराट ने एक पल की ख़ामोशी रख ली, जो कुछ ही देर बाद उसे भारी पड़ने वाली थी |
“क्या मैं अच्छी wife नही हूँ...?” अब खुशी विराट का चेहरा देखने लगा |
“मैं ऐसा कुछ नही बोला...|” विराट ने खुशी को समझाया |
“फिर तुमने मेरी बात को counter क्यों नही किया, जैसा मैं किया...?” अब खुशी के चेहरे पर गुस्से के भाव उभरने लगे थे |
विराट से जवाब नही बन पा रहा था, उसने खुशी की आँखों में देखा, जो अपने अंदर उठ रहे गुस्से के उफान की गवाही दे रही थी |
“Fine...|” खुशी खाने की tray उठा बालकनी की तरफ बढ़ती हुई “मरो जैसे मरना है, यहाँ दो जानो के साथ इनकी चिंता में मरे जा रहे है, इन्हें हमारे अंदर interest ही नही है...|”
“मेरी बात तो सुनो...|” विराट फिर परेशानी से भरता हुआ “मेरा वो मतलब नही था, you are a good wife...|”
“और अब dinner के लिए भूल जाना...|” खुशी बालकनी के gate पर रुकते हुए “जाओ उसके पास, जो तुम्हें अच्छी लगती है...|”
“Shit यार, ये औरते भी ना...|” विराट उठकर खुशी के पीछे चल दिया |
दूसरी तरफ रजत और रुकुल bus से office जा रहे थे | रजत comfortable था, मगर रुकुल के मन में अभी भी कुछ doughts थे |
“क्या हुआ...?” रजत ने रुकुल के चेहरे पर परेशानी देखते हुए सवाल किया |
“कुछ नही...|” रुकुल झूठ-मुठ का मुस्कुरा दी |
“आज इतने दिनों के बाद office जा रही हो, इसलिए परेशान हो ना...?” रजत ने खुद से एक जवाब बनाया |
“Not really but...|” रुकुल अपने मन की बात को मन में ही दबाते हुए “Yes...|”
“It’s ok, मैं भी काफी time के बाद office जा रहा हूँ तो...|” रजत ने रुकुल को थोड़ा relax करने की कोशिश की |
रुकुल रजत को देख मुस्कुरा दी, मगर उसकी आँखे अभी भी उलझन साफ़ बता रही थी | रजत ने बहुत ही कम bus का सफर किया था, तो कम भीड़ होने की वजह से वो उसे enjoy कर रहा था |
“अच्छा, तुम्हें company के बारे में पूरी तो पता है ना...?” रजत ने कही खोयी रुकुल ने पूछा |
रुकुल अपनी ही धुन में थी, इसलिए उसने कोई जवाब नही दिया | रजत कुछ पलों के लिए रुकुल को देखने लगा |
“तुम कुछ पूछ रहे थे...?” रुकुल ने रजत को देखते हुए सवाल किया |
“क्या problem है...?” रजत ने रुकुल की आँखों में देखा |
“कुछ नही, मैं तो...|” रुकुल बात को टालने लगी |
“रुकुल...?” रजत ने फिर से अपने सवाल पर रुकुल का ध्यान खींचा |
“वो मैं...|” रुकुल से बोला नही गया |
“अभी भी दिमाग में मुझे घर से निकलाने वाली बात चल रही है...?” रजत ने रुकुल के चोर को पकड़ लिया |
रुकुल के words तो नही निकले, मगर उसकी आँखे बता रही थी, बात वही थी | अब रजत को गुस्सा आ गया था, मगर वो अपनी आँखों को बन कर उसे control करने की कोशिश कर रहा था |
“तुम मुझे feel करा रही हो, तुम्हें मुझसे ज्यादा मेरे पैसे की फ़िक्र हो रही है...|” रजत ने एक तीखी बात बोली |
रुकुल झटके से रजत को देखने लगी, मानों रजत ने उसके charecter पर शक किया हो | रजत अभी भी जवाब के लिए रुकुल को देख रहा था |
“तुम्हें पता है, मैं...|” रुकुल जोश के साथ बोलने लगी |
“जानता हूँ, तुम मुझसे प्यार करती हो...|” रजत उसकी बात काटते हुए “मगर इस तरह तुम्हारा सोचना, मुझे सोचने पर मजबूर कर रहा है |”
“Sorry, आगे से नही सोचूंगी...|” रुकुल ने हल्की सी मुस्कान के साथ अपने कान पड़क लिया |
रजत दूसरी तरफ देखने लगा |
“अब माफ़ भी कर दो, या सबके सामने तुम्हें kiss करके मनाऊ....?” रुकुल ने फिर जोश के साथ बोला |
“Last time बाहर dinner कब किया था..?” रजत ने सवाल किया |
“तुम्हारे साथ New york में...|” रुकुल ने याद करते हुए बोला |
“और मेरे बिना...?” रजत ने सवाल आगे बढ़ाया |
“Job के time पर, staff के साथ...|” रुकुल ने रजत के कंधे पर सर रख लिया |
रजत इससे आगे नही बोला |
“Italian...|” रुकुल ने dimand रखी |
“1000 रूपये का बजट है, अब देख लो इसमें क्या मिल सकता है...|” रजत ने बोला |
रुकुल हैरानी के साथ रजत को देखने लगी |
“What...?” रजत हाथ खोलते हुए “नही है पैसे...|”
रुकुल कुछ नही बोली |
दूसरी तरफ राहुल नहाकर अपने कपड़े धोता हुआ एक गहरी सोच में था, life इतनी मुश्किल भी तो सकती है, शायद ही उसने कभी सोचा होगा | गुरुद्वारे में लोगो का हजूम, लंगर की तैयारी, सेवादार, उसके साथ नहाते लोग, सब उसकी आँखों में एक सबक की तरह घूम रहा था | दूसरो को देखते हुए राहुल ने कपड़ो को साबुन लगाया, उन्हें रगड़ा पानी से धोया भी | बुढा राहुल को इस तरह काम करता देख मुस्कुरा रहा था | राहुल ने अपने कपड़े सूखने डाले तो बूढ़े ने उसे तन ढकने के लिए चादर भी दे दी | इस सबके बीच राहुल अभी भी सोच ही रहा था | लगंर में सबकी line के बीच बैठकर खाना, उसके बाद बर्तन इकट्ठा करना, उन्हें धोना, सब राहुल ने बिना किसी सवाल के पूरे कर दिए | बुढा भी राहुल की इस बात से थोड़ा सा सोच में था, इतना अरबपति लड़का, जिसने शायद ही खाने की table से कभी अपनी plate उठाती होगी, वो बिना किसी एतराज के सारे काम करता जा रहा था |
“श्बाश पुत्तर, चल तेन्नु काम पर लगवाते है...|” बूढ़े ने राहुल से बोला |
“No thanks...|” राहुल बूढ़े को देखते हुए “मुझे शर्मा and sons के यहाँ पर काम मिल जायेगा...|”
“शर्मा के यहाँ क्यों, कोई खास वजह...?” बुढा सोचते हुए पूछता है |
राहुल के पास जवाब नही था, मगर उसके कानो में शर्मा का नाम बिल्लों और तुषार के words में गूंज रहा था |
“मैं चलता हूँ...|” राहुल बूढ़े के पैर छूकर आगे बढ़ गया |
“किसी भी चीज की जरूरत हो, गुरु का घर सदा तेरे लिए खुला है पुत्तर...|” बुढा बोला |
राहुल हाँ में सर हिलाते हुए आगे बढ़ गया |
रजत और रुकुल bus से उतर company की तरफ चल दिए थे |
“तो company के बारे में latest क्या है...?” रजत ने कंधे पर लटके बैग के साथ रुकुल से सवाल किया |
रुकुल पहले ही हाथ में tablet के साथ मानों company का चिट्टा निकालने में लगी हो |
“कुछ ऐसा है, जिस सुनकर जोश आये...?” रजत ने सवाल किया |
“जोश नही आएगा, but फट बहुत कुछ जायेगा...|” रुकुल के माथे पर लकीरें पड़ने लगी थी |
“अच्छा, ऐसा क्या है...?” रजत ने थोड़ी उत्सुकता के साथ रुकुल को देखा |
“तुम्हें पता है, तुम्हारी family ने तुम्हें यही क्यों भेजा है...?” रुकुल ने tablet नीचे कर लिया था |
“Because उन्हें पता है...|” रजत रुकुल का हाथ पकड़ उसे करीब खीचते हुए “मेरे पूरा ध्यान तुम पर ही अटका रहता है...|”
“उन्होंने तुम्हारी इसी कमी को समझते हुए तुम्हें यहाँ पागल होने के लिए भेज दिया है....|” रुकुल ने रजत का हाथ झटक दिया |
“तुम्हारे कहने का मतलब क्या है...?” रजत समझा नही था |
“नर्क में राहुल नही, तुम हो...|” रुकुल tablet सामने करते हुए “तुम 2 साल पहले जिस company को यहाँ छोड़कर गये थे, उसका दिवाला निकल गया है, उसका stock कोडियो के भाव पर है...|”
“क्या...?” रजत झटका खाते हुए details को पढने लगा |
“The Thakurs ने इस company को खाली एक loss making company बनाकर रखा है, जिसका roll खाली loss बनाये रखना है...|” रुकुल अपना सर पकड़े हुए “अगले 3 महीने में ये company दिवालियाँ हो जाएगी...|”
रजत के तो धरती आसमान हिलने लगे थे | उसे तो business का ABCD नही आता था, वो भला इस company को कैसे चलाएगा...?
“तुम कुछ सुन भी रहे हो...?” रुकुल खुद परेशान होकर रजत को हिला रही थी |
रजत का तो दिमाग ही hang हो गया था, वो क्या करेगा...?
दूसरी तरफ खुशी खाने की plate के साथ room के बाहर झूले पर बैठी खा रही थी | तभी विराट उसके सामने आकर खड़ा हो गया | खुशी angle घुमाकर बैठ गयी | भूख विराट को भी लगी थी, मगर उसने खुशी को गुस्सा दिला दिया था, इसलिए उसकी दोनों भूख की lines बंद हो गयी थी | फिर भी विराट ने हार ना मानने वाली पद्धति पर चलते हुए try करते हुए अपने गले की खरास साफ की |
“ये पुराने हथकंडे try मत करो...|” खुशी सीधे बोलती हुई “मुझसे बात करने की कोई जरूरत नही है, नौकर से मंगाकर खाना खा लो...|” खुशी ने एक ही वार में विराट के अगले-पिछले, सारे हथियार तोड़ डाले थे |
मगर विराट ने भी कोई कच्ची गोलियां नही खेली थी, लडकियों को कैसे और कहाँ तोडा जा सकता है, उससे बहेतर कौन जा सकता था | ऐसे ही विराट lady killer नही था | खुशी की बात सुन विराट अपने mobile के साथ थोड़ा उसे पड़े सोफे पर जाकर बैठ गया | खुशी अपना खाना खाती हुई उसे घूरने लगी |
“What...?” अब विराट ने mobile से नजरें हटा खुशी को देखा |
“तुम mobile पर क्या रहे हो...?” खुशी ने सवाल किया |
“अभी क्या dilog मारा था तुमने...?” विराट याद करने का नाटक करते हुए “मुझसे बात करने की कोई जरूरत नही है...|”
“तो कर भी कौन रहा है...?” खुशी वापिस अपना खाना खाने का नाटक करने लगी |
मगर विराट के चेहरे पर जो मुस्कान थी, उससे खुशी समझ गयी थी, विराट मौके के फायेद के रूप में कुछ ऐसा करने की planning कर रहा था, जो उसे बिल्कुल भी पसंद नही होता |
To be continue…
I hope you all like this story Love story, Behind the story of भोली खुशी part-344 . So reader, Please comments and
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Love story, Behind the story of भोली खुशी part-344
Reviewed by Mr.Singh
on
October 08, 2020
Rating:

Excellent story as always and eagerly waiting to read the next update
ReplyDelete🧐🙏🏼🧐🧐🙏🏼🧐
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Always 💜💜💜💜💜💜💜💜U Boss
Good story
ReplyDeleteVery nice n interesting part..... Virat aur Khushi ki ye ladayiyan kabhi khatam hongi bhi ki nhi ...but jo bhi h mza bahut aata h dono ko sath rehte ,khate,ladte aur romance karte ....Rajat aur Rahul aakhir h toh Virat ke hi bhai thode pareshan ho sakte h pari hope wo jaldi khud ko sabit kar payenge
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteSuperb part. Very nice
ReplyDeletenice story full of drama
ReplyDeleteFull Masti maza aa raha hai har baar kush alag nd naya
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