Love story, Behind the story of भोली खुशी part-362

 

Behind the story of भोली खुशी part-362

Love story, Behind the story of भोली खुशी part-362
Love story, Behind the story of भोली खुशी part-362

सोनम ने गाड़ी शर्मा की shop के सामने लाकर खड़ी कर दी | राहुल नीचे उतरने लगा |

“मेरा हिसाब से आपका यहाँ रहना ठीक नही है...|” सोनम ने राहुल को टोका |

“मुझे अच्छी तरह पता है, मुझे कहाँ और कैसे रहना है...|” राहुल सोनम की आँखों में देखते हुए “और जहाँ तक मैं तुम्हें समझा हूँ, तुम भी किसी को कुछ नही बताओगी |”

सोनम ने हाँ में सर हिला दिया | तब तक दोनों का ध्यान बाहर हो रहे झगड़े ने खीच लिया | बाहर शर्मा के दोनों बेटे सामने वाली shop के लोगो से झगड़ रहे थे | राहुल और सोनम भी शर्मा के पास जाकर खड़े हो गये |

“What happening dad...?” सोनम ने शर्मा से पूछा |

शर्मा ने उसे शांत रहने का इशारा किया |

“चड्डा तेरे जैसे हम रोज देखते है...|” पहले लड़का गुस्से में “ज्यादा हवा में उड़ने के जरूरत नही है...|”

“चड्डा जैसा ना तो कोई है, ना कोई होगा...|” सामने खड़ा आदमी भी पूरे गुस्से में “पूरी market जानती है, चड्डा ने जो बोल दिया, वो पत्थर की लकीर से...|” आदमी सीना थोककर “तेरी ये दुकान इस market में नही रहेगी का मतलब है, नही रहेगी...|”

“बस चड्डा...|” शर्मा पीछे से “अपनी औकाद से बाहर नही बोलना चाहिए...|”

“मुहं बंद रख शर्मा...|” चड्डा पूरे रौब के साथ “सब जानते है तेरी औकाद क्या है, तू अपने बाप के साथ यही road पर ठेली लगाता था...|”

“चड्डा...!!” दोनों लड़के भडकने लगे |

“नही...|” शर्मा शांति के साथ चड्डा को देखते हुए “उसके सर पर इस time घमंड सवार से, उसे अच्छा या बुरा नही दिखेगा...|”

इस सबसे अलग राहुल को कुछ दूसरे ही नजारे दिख रहे थे | उसके बगल में शर्मा की जगह तुषार, दोनों लडकों की जगह विराट और वो खुद और सामने दूसरे buisness man...| मानों ये जगह उसका business world हो, जहाँ पर ऐसी धमकी अक्सर चलती रहती हो...|

“इसके घमंड को दूसरी तरह से उतारना पड़ेगा...|” शर्मा कहते हुए shop के अंदर चला गया |

“तुझे औकाद हम दिखलायेंगे...|” दूसरे लडके के बोलने के साथ दोनों लकड़े, सोनम भी अंदर जाने लगी |

राहुल अभी भी उसी तरह खड़ा था |

“हमें अंदर चलना चाहिए...|” सोनम ने उसका ध्यान तोड़ा |

राहुल एक पल के लिए सोनम को देखने के साथ अंदर चल दिया |

 

“ये चड्डा खुदको समझता क्या है...?” पहला लड़का गुस्से में पागल शर्मा पर ही भड़कते हुए “हमें आँखे दिखाता है, हमने इसे market में जमाया, हमने इसे ग्राहक लाकर दिए और अब...|”

“इंसान कुत्ता नही होता ना, जो टुकड़े की वफादारी निभाये |” दूसरा लड़का बोला |

“क्या हुआ dad...?” सोनम ने शर्मा से मामला समझने की कोशिश की |

“चड्डा हमारे बड़े orders को दूसरी market में transfer कर रहा है...|” शर्मा ने बोला |

“What, पर क्यों...?” सोनम थोडा हैरानी में “वो तो आपके अच्छे दोस्त थे ना...?”

“Market में बैठकर कोई किसी का दोस्त-दुश्मन नही होता...|” थोड़ा गुस्से में पहला लड़का “सबको बस पैसे से मतलब है...|”

राहुल मानों अपने business के झगड़े देख रहा था |

“इस तरह गुस्सा करने से कुछ नही होने वाला...|” शर्मा अपनी सीट पर बैठते हुए “चड्डा की अक्ल ठीक करनी है तो उसे धंधे की भाषा में समझाना होगा...|”

“वो भी चुप नही बैठने वाला...|” बाहर किसी से mobile पर बात करते चड्डा को देखते हुए दूसरा लड़का “हमारे खिलाफ साजिश करेगा...|”

“तुम काम पर ध्यान दो...|” शर्मा ने कुछ सोचने के बाद राहुल को देखते हुए सोनम से “तेरी meeting कैसी रही...?”

“Exclint dad...|” सोनम पूरे जोश के साथ “मुझे 4 project मिलने वाले है...|” सोनम ने राहुल को देखते हुए “Thanks to someone...|”

“कौन था...?” शर्मा ने सोनम को सपने की उड़ान भरने से पहले ही उसे वापिस जमीन पर पटक दिया |

“तू जाकर सबके लिए चाय लेकर आ...|” दूसरे लडके ने राहुल को झाडा |

राहुल बिना पैसे लिए ही बाहर निकल गया | सब उसे देखते रहे |

“आपको किसी से बात करने की तमीज कब आएगी...?” सोनम राहुल के लिए थोड़ा बुरा feel करते हुए बोली |

“इस time दिमाग वैसे ही गर्म है, भाषण मत दे...|” दूसरा लड़का बोला |

“सबके सामने ही थप्पड़ खायेगा...?” शर्मा ने उसे डांटा |

“Dad मैं restaurant में बैठे हुए bor हो गयी हूँ, कुछ दिन यहाँ आपके साथ बैठ सकती हूँ...?” सोनम ने राहुल के पास रहने की एक तरकीब निकाली |

“ठीक है...|” शर्मा मुस्कुरा दिया |

सोनम अंदर ही अंदर 2 fit ऊपर उछली होगी |

 

बाहर राहुल चाय वाले के पास जाकर खड़ा हो गया |

“देखा, ये होती है आज की दुनियादारी...|” चाय वाला दूसरे आदमी से “शर्मा ने ही चड्डा को market में जमाया और आज चड्डा ही शर्मा की जड़े काटने में लगा है |”

राहुल खड़ा सुन ही रहा था, तभी उसकी नजरे राहुल पर पड़ी |

“साहब...!!!” आदमी सीधा खड़ा हो गया |

चाय वाला भी चाय छोड़ राहुल को देखने लगा |

“मुझे इस चड्डा और पूरी market की जन्मकुंडली निकालकर दो...|” अपने अंदर उगते विराट वाले गुणों के साथ राहुल चाय वाले से बोला |

“रात से पहले-2 मिले जाएगी साहब...|” कहते हुए चाय वाले ने नोटों का गल्ला राहुल की तरफ बढ़ा दिया |

“रखो अपने पास...|” राहुल पैसे में कोई interest ना लेते हुए “जो कहाँ, वो करो...|”

“जी साहब...|” कहते हुए चाय वाला सबसे पहले राहुल की चाय बनाने लगा |

 

दूसरी तरफ परम, खुशी और चेतना अपने दूसरे friends से मिल रहे थे | हर कोई खुशी को देखकर एक पल के लिए चौकता और दूसरे ही पल उसे गले से लगा लेता | खुशी परम के mom-dad, चाचा-चाची से मिल रही थी |

“ये देव नही आया क्या...?” चेतना ने परम की चाची से बात कर रही खुशी के पास खड़े होकर परम से पूछा |

“देव को तो मैंने देखा है शायद...?” परम की चाची बोल पड़ी |

अगले ही पल Sandy के बारे में सोचने के साथ खुशी परम को देखने लगी |

“तो फिर देर किस बात की...?” चेतना खुशी का हाथ पकड़ खीचते हुए “Let’s go...|”

खुशी चेतना को घूरने के साथ परम की चाची से विदा लेती हुई आगे बढ़ गयी |

“तो क्या हाल है उस मजनू के...?” चेतना ने परम से पूछा |

“बस आधे घंटे पहले ही उसकी body आयी है...|” परम ने बोला |

“क्या, वो मर गया...?” चेतना की सांसे रुक गयी |

“चेतना...!!!” खुशी मानों ऐसे words सुनना भी नही चाहती थी |

“I mean, महाशय body से यहाँ है, वैसे तो मुझसे भी बड़ा business का कीड़ा बन गया है...|” परम खुशी को देखते हुए “जब से आया बस हीरे, डिजाईन, calls, यही सब चल रहा है...|”

“जरा हम भी तो देखे, ऐसे क्या तोप बन गयी है वो...|” कहते हुए चेतना की नजरे drink bar पर पड़ी गयी |

“चुपचाप सीधी चल...|” खुशी ने उसे आगे खीच लिया |

 

थोड़ा आगे लडकियों की भीड़ लगी हुई थी |

“यहाँ क्या महेंदी का program चल रहा है...?” चेतना ने परम से सवाल किया |

“ऐसा तो कुछ नही है, but इतनी भीड़ क्यों है...?” परम ने जैसे ही आगे की तरफ कदम बढाये |

“देव है यहाँ पर...|” खुशी अपने अनुभव से “जहाँ पर महेनत और कामयाबी की गंध हो, लडकियाँ वहाँ ज्यादा खींचती है...|”

“ये किताबो की boring बाते तू सीखती कहाँ पर है...?” चेतना ने सिरे से खुशी की बातो को नकारते हुए उसका ध्यान तोड़ा |

“इसका कुछ नही हो सकता...|” परम एक साँस छोड़ने के साथ लडकियों को हटाता हुआ देव को एक लड़की के लिए कंगन डिजाईन करते हुए उठा लेता है |

“Call me...|” देव लड़की को कहने के साथ परम से “यार तुमने मेरा एक customar बनने से पहले ही छीन लिया |”

“उसे छोड़ और यहाँ देख...|” परम ने सामने इशारा किया |

“खुशी...|” देव आगे बढ़ खुशी को गले से लगाते हुए “तुम कब आयी...?”

“कल शाम ही आयी है महारानी...|” चेतना ने जवाब दिया |

“तू कैसी है...?” देव ने चेतना को भी बगल से लगाया |

“वो ही, पहले जैसी boring...|” चेतना ने sad look दिया |

“लगता है, Sandy का डर नही रहा तुम्हें...?” खुशी ने मुस्कुराते हुए देव से बोला |

Sandy का नाम सुनते ही देव के चेहरे की चमक फीकी पड़ गयी |

“मुझे नही लगता, मेरी ननद इतनी बुरी है, कोई उसे याद करे तो उदास हो जाये...?” खुशी ने देव के चेहरे को पढ़ लिया था |

“उदास नही हूँ...|” देव Sandy के बारे में सोचते हुए “बस डरता रहता हूँ, किसी पल वो मेरे दिमाग से उतर ना जाये...|”

“Wow...!!!” चेतना सदमें के साथ “मुझे छोड़कर यहाँ सारे सही दिलजले आशिक बने बैठे है...|” चेतना हाथ पर हाथ मारती हुई “मतलब हर बार की तरह मेरी ही किस्मत खराब है...|”

“तू luck है चेतना...|” हल्की सी गीली आँखों के साथ देव चेतना को देख “जो इन सारे झंझटो से दूर है...|”

“But तुम्हें इस तरह देखकर मुझे अच्छा नही लगता..|” चेतना थोड़ा serious हो गयी |

“पागल ये तो life है...|” देव उसे फिर बगल से लगाकर हिलाते हुए “गम, खुशी, प्यार-व्यार...|”

“मुझे तुझसे ज्यादा पता है...|” चेतना ने देव को कसते हुए “दारू पीने कौन चल रहा है...?”

“Hey, come on...|” परम भी जोश के साथ “वैसे भी दोस्तों के साथ मस्ती किये काफी time हो गया...|”

“Sorry...|” खुशी अपन पेट की तरफ इशरा कर देती है |

“ज्यादा बनकर मत दिखा...|” चेतना कड़क आँखों के साथ खुशी को देखते हुए “हमें भी पता है, ये सब नाटक 6 से 7 महीनों के बाद होते है |”

“समझा करो चेतना...|” खुशी एक बड़े घर की बड़ी बहु वाले भावो के साथ “बहुत कुछ देखना पड़ता है...|”

“तुझे नही लगता परम, तुषार ठाकुर ने सबके साथ धोखा किया है...?” चेतना ने परम के कंधे पर हाथ रख लिया |”

“क्यों...?” परम से पहले खुशी को बोल पड़ी |

“उसने हमारी बिंदास खुशी को कही छिपाकर, इस डरपोक और लोगो से डरने वाली खुशी को सबके समाने लाकर खड़ा कर दिया है...?” चेतना ने खुशी की तरफ इशारा कर दिया |

“सही बोल रही है...|” परम भी चेतना की हाँ में हाँ मिलाते हुए “जब देखो, ये नही, वो नही, ऐसे नही, वैसे नही...|”

“ज्यादा नौटंकी मत करो, पता भी है, इतने बड़े घर की responsbility क्या होती है...?” देव ने खुशी का साथ दिया |”

“लगा ले बेटा मक्खन, तेरी तो मजबूरी फंसी हुई हैं ना...|” चेतना जोश के साथ “वरना हमें भी पता है, तू कितनी responsbility निभाने वालो में से एक है...?”

“तुम यहाँ से जा रही हो, या मैं कुछ help करूं...?” खुशी का हाथ उठने लगा तो guards के पैर भी उठने लगे |

“Time चल रहा है तेरा खुशी...|” चेतना bar की तरफ इशारा करते हुए “अपना भी time आएगा...|” कहते हुए चेतना परम को भी अपने साथ ले गयी |

अब देव और खुशी अकेले थे |

“तो कैसा चल रहा है वहाँ पर सब...?” देव ने खुशी का ध्यान खींचा |

“हमेशा की तरफ, busy...|” खुशी ने उसे अपने साथ घुमने का इशारा किया |

“अब तो सब काफी खुश होगे..?” देव मुस्कुराते हुए “खुशी ठाकुर माँ जो बनने वाली है...|”

“हाँ, कुछ ज्यादा ही खुश है...|” एक मुस्कान के साथ खुशी विराट से लेकर तुषार तक, सबकी खुशी को याद करती हुई बोली |

“और Sandy...?” देव Sandy को याद करते हुए “क्या वो भी खुश है...?”

“तुम खुद ही उससे क्यों नही पूछ लेते...?” खुशी ने mobile निकाल लिया |

“नही खुशी...|” देव खुशी को रोकते हुए “बार-2 उसके सामने जाकर मैं उसको और खुदको तकलीफ नही पहुँचाना चाहता |”

“जितना तुम यहाँ खुश हो, उतनी ही वो भी वहाँ पर खुश है...|” खुशी ने देव की आँखों में देखा |

देव ने सुनकर नजरें झुका ली |

“जी भाभी...|” अगले ही पल थोड़ा सा busy, मुहं में pen, बालों का जुड़ा बंधा हुआ, आँखों में चश्मा पहने Sandy प्रकट हो गयी |

मगर सामने खुशी के साथ देव को खड़ा देख उसके मुहं से pen गिर गया | देव भी प्यासी भरी नजरों से उसे देखने लगा | खुशी इस बात को लेकर खुश हो रही थी, उसे दो बिछड़े प्रेमियों को मिलवा दिया था |

“आपको कुछ काम था भाभी..|” खुद को द्रड कर Sandy ने वापिस खुशी को देखा |

देव भी किसी तरह खुद को काबू में कर लेता है |

“हाँ, मेरे friend के अपने business के लिए एक website बनवानी है...|” खुशी देव की तरफ इशारा करते हुए “तो मुझे तुम्हारा ख्याल आ गया |”

“कहाँ है आपका friend...?” Sandy खुशी का बहाना समझने के बाद भी अनजान बनते हुए सवाल करती है |

“ये रहा...|” खुशी mobile देव के हाथ में देते हुए “तुम इससे details लो, तब तक मैं आयी...|”

कहते हुए खुशी वहाँ से निकल गयी | अब देव और Sandy एक-दूसरे को देख रहे थे |

 

खुशी थोड़ा आगे जाकर drink bar को देखने लगी, जहाँ पर बगल में ही DJ पर सब मस्ती करते हुए नाच रहे थे | परम और चेतना को मस्ती करते देख खुशी के भी पैर मचलने लगे थे, मगर खुशी ने खुदको रोक लिया | But ये रोकना मुश्किल से 1 मिनिट का होगा | अगले ही पल फिर से उसके कदम उठ गये |

“सोचना भी मत...!!!” तभी बगल से प्रकाशित रूप में विराट गुस्से में बोला |

खुशी विराट को देखने लगी |

 

To be continue…
I hope you all like this story Love story, Behind the story of भोली खुशी part-362. So reader, Please comments and share this story with you friends and family and add your valuable thoughts to….!!!

 

Love story, Behind the story of भोली खुशी part-362 Love story, Behind the story of भोली खुशी part-362 Reviewed by Mr.Singh on November 01, 2020 Rating: 5

3 comments:

  1. Excellent story as always and eagerly waiting to read the next update
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